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________________ क० १६, १-१०; १७, १–९ ] गउ लङ्क महा-रिसि मण-गमणु परिभमिर- भमर झङ्कार-वरें तरु-तीर-लयाहरें 'कुसुमहरें. तिहुवण- परिभरि पियारऍण 'किं कुसल कुमार विक्खणहों तेण वि जिय-सयल - महाहव हों. लहरेण वि अभुत्थाणु किउ तावसेण वृत्त 'तर माइयहें सा तुम्ह विओएं दुम्मणिय सुह कवि दिवसु ण जाणिय अच्छs कन्दन्ति स वेयणिय [१६] उम्माहिउ तं णिसुणेवि वलु 'अ मह- रिसि सुन्दरु कहिउ पइँ' तो दंसण-सह-तिसाइयहें णिय - जम्मभूमि जणणिऍ सहिय लइ जामि विहीसण णियय-घरु छब्वरिसहूँ एक्क-दिवस-समइँ लब्भइ पमाणु सायर-जलहों लब्भइ पमाणु लक्खण-सर हों लब्भइ पमाणु जिण भासियहुँ परिमाणु विहीण लहु ण वि [१६] १ निजवेगः. [१७] १ मुक्तिस्थानस्य ( 2 ) . पउ० च० २४ Jain Education International 2PSA इ. उत्तरकण्ड - अट्टसन्तरिम संधि [१८५ 'णिय- वेओहामिय-खर-पवणु ॥ १ णीलुप्पल - वहु-रय- गन्ध-भरें ॥ २ www. जहिँ अङ्ग कीos कमल- सरें ॥ ३ तहिं थाऍवि पुच्छिउ णारऍण ॥ ४ इदेहि रामहों लक्खणहों' ॥ ५ पसारि मन्दिरु राहवहाँ ॥ ६ 'आगमणु काहूँ" एत्ति 'चविउ ॥ ७ आयउ पासों अपराइयहें ॥ ८ अच्छा हरिणि व वैण्णाणणिय ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ पइँ वण- वासु पवण्णऍण । न्दिणि जिह विणु तण्णऍण' ॥ १० [ १७ ] M वोल्लइ मउलाविये मुह कमलु ॥ १ जइ अज्जु कल्लें उ दिट्ठ मइँ ॥ २ उड्डन्ति पाण अपराइयहें ॥ ३ समें वि होइ अइ दुलहिय ॥ ४ पइँ मुऍवि अण्णु को सहइ भरु ॥ ५ aarइँ सुरिन्द- सुहोवमइँ' ॥ ६ लब्भइ पमाणु वाणर-वलहों ॥ ७ लब्भइ पमाणु दिणयर-करहों ॥ ८ ॥ घत्ता ॥ 16. 1 BS वेवो', A ° वेड. 2P ° वरि, S ववहिरि, 4 धरि. 3PSA°रि. 4 P s भरे. 5 PSA इ. 6 A °उं. 17. 1 PSA 3. वयणहुँ 'णिव्वुइ-गाराहुँ । णिरुवम-गुणहँ तुहाराहुँ' ॥ ९ २ जल्पितः. ३ ऊर्ध्वमुखी, ४ यथा गौः वत्सेन विना . For Private & Personal Use Only 10 5 13 20 25 www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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