SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 202
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १४२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ सिञ्चइ व कुम्भि-कर-सीयरेहिँ णं सावराहु असिवर-कराहँ [क० १४,८-१०, १५,१-१० विजिजइ व्व चल-चामरेहिँ ॥ ८ कम-कमलेहि णिवंडइ णरवराहँ ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ मुअउ व पहरण-सय-सल्लियउ दड्डू व कोवग्गिहें थल्लियउ । सहसत्ति समुज्जलु जाउ रणु खल-विरहिउ णं सजण-वयणु ॥१० [१५] रऍ पणट्टएँ जाउ रणु घोरु । . राहव-रावण-वलहुँ . करण-वन्ध-सर-पहर-णिउणहुँ । अन्धार-विवज्जियउ सुरउ णाइँ अणुरत्त-मिहुणहुँ॥ रह रहाहँ णर णरहुँ तुरङ्गं तुरङ्गहुँ । भिडिय मत्त मायङ्ग मत्त-मायङ्गहुँ ॥१ को वि भडहों भडु भिडेवि ण इच्छइ सग्ग-गमणु सहुँ सुरेंहिँ पडिच्छइ ॥ २ को वि सराऊरिय-करु' धावइ रण-वहु-अवरुण्डन्तउ णावइ ॥३ कासु इ वाहु-दण्डु वाणग्नें णिउ मुअङ्गणं गरुड-विहङ्गे ॥४ 15 कासुई वाण णिरन्तर लग्गा पडिवं ण देवि" ण केण वि भग्गा ॥ ५ णिग्गुण जइ वि धम्म-परिचत्ता ते जि वन्धु जे अवसर पत्ता ॥६ णच्चइ कहि मि रुण्डु रण-भूमिहें" णीरि] हुई णिय-सिरण सु-सामिहें ॥ ७ कासु इ भडहाँ सीसु उत्थलियंउ गयणहाँ गम्पि पडीवउ वलियउ ॥ ८ धुअ-धवलायवत्ते" आलीणउ राहु-विम्वु ससि-विम्वे चडीणउ" ॥९ पत्ता॥ केण वि सिरु दिण्णु सामि-रिणों उरु वाणहुँ हियउँ सव्वु जिणहों । 'सउणहुँ सरीरु जीविउ जमहों अइ-चाएं णासु ण होइ कहाँ ॥ १० بریم می بیمه ای به سر 12 P S °सर'. ___ 15. 18 °3, A उं. 2 PS A णाइ. 3 s °हु, A °उं. 4 P S तुरंगु, A तुगु. 5 P SA मिडिवि. 6 P अच्छइ. 7 PS A कर. 8 PS दंड. 9 PS वि. 10 P S °वि. 11 P दिति, s देंति. 12 P वि. 13 P हिं, 8 °हि, A हो. 14 P S णिरिणु. 15 5 हूउ. 16 P °ल्लिअउ, s°ल्लियउ. 17 P S A °त्ति. 18 PA उं. 19 A °उं. 20 A उं. 21 P °जणहो. 22s A सउणहो. [१५] १ पक्षिनाम. २ अतित्यागेन. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy