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५,७-९१६,१-९,१७,१-५
११४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
गर्मीय-उवसग्ग-विग्घे समारम्भिए [?] समुग्गिण्णणाणाउहं रुट्ठ-दहाहरं जक्ख-सेण्णं समुद्धाइयं ॥ ७ फरुस-वयणाहिँ हक्कार-डक्कार-फेक्कार-हुङ्कारभीसावणं पिच्छिऊणं पणट्ठा कइन्दद्धया (१) ॥ ८
॥त्ता॥ भग्गु कुमारहुँ साहणु गलिय-पसाहणु . पच्छले लग्गज जक्ख-वलु। (ण) णव-पाउसे अइ-मन्दहों तारा-चन्दहों मेह-समूहु लाई स-जलु ॥९
[१६] तहिँ अवसरें' जणिय महाहवेण . जं अविउँ पुजिउ राहवेण ॥१ 10 तं जक्ख-सेण्णु सेण्णहों पचरु थिउ अग्गएँ खग्गुग्गिण्ण-करु ॥२ 'अरें जक्खहाँ रक्खहाँ किङ्करहों जिह सक्कों तिह रणे उत्थरहों ॥३ वलु वुझहों जुज्झहाँ आहयणे पेक्खन्तु सुरासुर थिय गयणें ॥ ४ ता अच्छहुँ रामण-रामहु मि समरङ्गणु अम्हहँ तुम्हहु मि' ॥५ तं णिसुणेवि दहमुह-वक्खिऍहिँ दोच्छिय सन्तिहरारक्खिऍहिँ ॥ ६ 15 ‘दुम्मणुसहों दुट्टहाँ दुम्मुहहों जं किय 'दोहाइं दहमुहहाँ ।। ७ तं सो जि भणेसँइ सव्वहु मि तुम्हहँ हार-वल-सुग्गीवहु मि' ॥८
॥ घत्ता॥ तं णिसुणेवि आसङ्किय माण-कलङ्किय जक्ख परिट्टिय मुऍवि छलु । पुणु वि समुण्णय-खग्गा पच्छले लग्गा जाव पत्त रिउ राम-वलु ॥९
[१७] वलु 'गरहिउ रक्ख-पहाणऍहिँ वहु-भूय-भविस्सय-जाणऍहिँ ॥ १ 'अहो णर-परमेसर दासरहि ". जइ तुहु मि 'अणित्ति एम करहि ॥२ तो होसइ कहों परिहास पुणु णियमत्थु हणन्तहुँ कवणु गुणु' ॥ ३ तं सुर्णेवि वुत्तु णारायणेण 'ऍउवोल्लिउ कवणे कारणेण ॥ ४ । 5 अहो अहो जक्खहों 'दुच्चारियहों दुट्ठहों चोरहों परयारियों ॥ ५ . 15 s रारुव'. 16 A ‘समुहु. 17 S A णाइ.
16. 1 s A तहि अवसरि. 2 S अग्गिए, A अंघिउं. 3 5 गयणयणे. 4 s तो अच्छहु. 5 s°ह. 6 s °दोहायं. 7 S ज, A जि. 8 T has भलेसइ glossed with ज्ञास्यति. • 17. 1 S अणित्तिए ववहरहि. 2 °मत्थू, A °मत्थ. 3 A चारहो.
[१६] १T रे रावणभृत्याः. २ T द्रोह्यानि. [१७] १ T निंदितः. २ T दुश्वारित्रस्य (2).
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