________________
११२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १२,३-१०; १३, १-९, १४, १-२ सोमित्तिहें अङ्गहों अङ्गयों स-गवक्खहाँ तह गषयहाँ गयों ॥३ तारही रम्भहों भामण्डलहों कुमुयहाँ कुन्दहों णीलहों णलहों ॥४ अवरहु मि असेसहुँ किङ्करहुँ एक्केण वुत्तु 'लइ किं करहुँ॥५
अट्टाहिऍ आहउ परिहरेंवि थिउ सन्ति-जिणालउ पइसरवि ॥६ 5 आराहइ लग्गइ एक्क-मणु रावण-अक्खोहणि दहवयण ॥७
तं Kणेवि विहीसणु विष्णवइ 'साहिय वहुरूविणि-विज जइ ॥ ८ तोण विहउँण वि तुहुँण वि य हरि वरि एहएँ अवसरे णिहउ अरि ॥९
॥ घत्ता ।। चोर-जार-अहि-वइरहुँ हुअर्वह-डमरहुँ जो अवहेरि करेइ णरु । 10 सो अइरेण विणासइ वसणु पयासइ मूल-तलुक्खउ जेम तरु ॥१०॥
[१३] सक्केण विकिय अवहेरि चिरु जं वद्धावि वीसद्ध-सिरु.॥१ तं खउ अप्पाणहों आणियउ णित्तिहे अहियार ण जाणियउ' ॥२ तं णिसुणेवि सीराउहु भणइ 'जो रिउ पणमन्तउ आहणइ ॥ ३ 15 सो खत्तिय-कुर्ले कलङ्क करइ जो घ. पुणु तवसि ण परिहरइ ॥४
तहों किं पुच्छिजइ चारहडि वरि भिन्दइ णिय-सिरे 'छार-हडि ॥ ५ जेत्तिउ दणु दुजउ संभवइ तेत्तिउ पहरन्तहुँ जसु भमई' ॥६ तं णिसुणेवि कण्टइयङ्गऍहिँ रहु-तणउ वुत्तु अङ्गगऍहि ॥ ७ 'ता खोल्हुँ जाम झाणु दलिउ' मणु हरेंवि कुमार-सेण्णु चलिउ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ तं स-विमाणु स-वाहणु उक्खय-पहरणु णिऍवि कुमारहों तणउ वलु। णिसियर-णयरु पडोल्लिउ थिउ पच्चोल्लिउ महण-काले णं उवहि-जलु ॥९
..१४] जमकरण-लील-दरिसन्तऍहिँ णयरब्भन्तरें पइसन्तऍहिँ ॥१ 25 कञ्चण-कवाड-फोडन्तऍहिँ सिय-तार-हार-तोडन्तऍहिँ ॥२ ____12. 1 तहं अंगंगयहो. 25 अट्टाहिएहि. 3 s °जिणालिं. 4 s रामण'. 5A णिसणेवि, S सुणिवि. 6 S A अवसरि.7 A चार. 8 8 अवरह. 9 A सवणु. 10 s जह व.
13. 18 वढाविउ. 2 A अहिवाउ, 3 After this Pada marginally adds तहो लीह वि तिहुवणिं को धरइ. 4 A परि. 5 S हणु. 6 S पहरंतहु, A पहरंतहं. 7 5 सु. 8 SA °इअं. 9 s खोहहं, A खोहउं. 10 A चलिउ. 11 s कुमारु. ' 14.1 s A °हि. २ " रावणरूपाणामेकाऽक्षोहिणी. [१३] १T छारहंडिका. २ 1 तावत् क्षोभयामि यावद् ध्यानाञ्चलति (A's reading ). .
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org