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क० ७, ७-५, ८, १-९:९, १-८] जुज्झकण्डं-एकुणसत्तरीमो संधि [८९ जा कसिण भुअङ्गिन विसों भरिय कज्जल-रेह व णं धरऍ धरिय ॥७ थोवन्तरें जल-णिम्मल-तरङ्ग ससि-सङ्ख-समप्पह दिट्ठ गङ्ग ॥८
॥ घत्ता ॥ अम्हहँ विहिं ग़रुवउ कवणु जऍ जुज्झवि आएं मच्छरेण । हिमवन्तहों णं अवहरेवि णिय धय-वडाय रयणायरेण ॥ ९
[८] थोवन्तरें तिहि मि अउज्झ दिट्ठ पुणु सिद्धिपुरिहिँ सिद्धि व पइट ॥ १ जहिँ मिहुणइँ आरम्भिय-रयाइँ पन्थिय इव उच्चाइय-पयाइँ ॥२ पाहण इव अवरुण्डण-मणाइँ गिरिवर-गत्ता इव सव्वणाई॥३ अविचल-रजा इव सु-करणाइँ रिसिउल इव भाव-परायणा ॥४ धणुहर इव गुण-मेलिय-सराइँ • अहरत्ता इव पहराउरा ॥५ पुणु णरवइ मंदिरें गय तुरन्त मुणि-सुव्वय-जिण-मङ्गलइँ गन्त ॥६ संग्गावयार जम्माभिसेऍ णिक्खवणे णाणे णिव्याणच्छऍ ॥७ तित्थयर-परम-देवाहँ जाइँ पञ्च वि कल्लाण. होन्ति ताइँ ॥८
॥ घत्ता ॥ 'महि मन्दरु सायरु जाव णहु । जाव दिसउ महणइ-जलइँ। तउ होन्तु ताव जिण-केरा पुण्ण-पवित्तइँ मङ्गलइँ' ॥९
[९] तें' मङ्गल-सदें पहु विउछु णं छण-मयलञ्छणु अर्द्ध-अडु ॥१ णं उअय-महीहरे तरुण-मित्तु णं माणस-सरु रवि-किरण-छित्तु ॥२ . णं वाल-लीलु केसरि-किसोरु णं सुरवइ सुर-बहु-चित्त-चोरु ॥३ उद्वन्ते वहु-मणि-गण-चियाइँ ___लक्खियइँ विमाणइँ खश्चियाइँ ॥ ४ णं णहयल-कमलइँ विहसियाँ सजण-वयणाइँ व पहसिया ॥५ णिक्कारणे जाइँ पप्फुल्लियाइँ _____ सु-कलत्तइँ णाइँ समल्लियाई ॥६ णिहिट्ट विमाणेहिँ तेहिँ वीर सम्बाहरणालकिय-सरीर ॥७ ॥ परिपुच्छिय. 'तुम्हें पयट्ट केत्थु किं मायापुरिस पढुक्क एत्थु ॥ ८ 11 P धरणिए.
8. 1 5 णं. 2 wanting in A. 3 s A जहि. 4 S A °रयाइ. 5 SA सुकरणाइ. 6 देंत. . 7 8 सग्गब्भयारे जम्माहिसेव,'A °जम्माहिसए. 8 णिव्वाणि एव. 9 s होंति, A होतु.
9. 1 s तं, A ते. 2 A मुद्ध मुद्र. 3 A गय. 4 s A लक्खियइ. 5 s A कमलइ. 38A याई.7 8 समुल्लियाइ. 8 5 सव्व. nternati० च० १२
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