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________________ क०१,७-१०:२.१-१०॥ र ।। जुज्झकण्डं-अट्ठसट्ठिमो संधि [१] आवीलिय-दिंढ-तोणा-जुअलु वहु-रणझणन्त-किङ्किणि-मुहलु ॥ १ मंण्डलिय-चण्ड-कोवण्ड-धरु पाणहर-पईहर-गहिय-सरु ॥२ परियड्डिय-रण-भर-पवर-धुरु वर-वइरि-पहर-कप्परिय-उरु ॥ ३ 'वेयण्ड-सोण्ड-भुवदण्ड-थिरु मोरङ्ग-छत्त-अणुसरिस-सिरु ॥४ गउ तेत्तहें जेत्तहें जणय-सुउ थिउ वूह-वारे करवाल-भुउ ॥ ५ 'अहाँ अहाँ भामण्डल भड-तिलय सम्माण-दाण-गुण-गण-णिलय ॥ ६ विजा-परमेसर भणमि पइँ तिहुँ मासहुँ अवसरु लडु मइँ ॥७ जइ दरिसावहि रहु-णन्दणहों तो जीविउ देमि जणदणहो ॥८ तं वयण सुर्णेवि असहन्तऍण णिउँ रामहों पासु तुरन्तऍण ॥९ ॥ घत्ता ॥ 'जोइहिँ वुच्चइ ससिमुहिहें वरहिण-कलाव-धम्मेल्लहें । जीवइ लक्खणु दासरहि पर ण्हवण-जलेण विसल्लहें ॥ १० ॥ ॥ सुणु देव देवसङ्गीय-पुरे , वहु-रिद्धि-विद्धि-जण-धण-पउरें ॥ १ ससिमण्डलु अत्थि णराहिवइ सुप्पह-महएवि मराल-गइ ॥२ पडिचन्दु तासु उप्पण्णु सुउ सो हउँ रोमञ्चुभिण्ण-भुउ ॥ ३ स-कलत्तउ केण वि कारणेण किर लीलऍ जामि णहङ्गणेण ॥४ मेहुणियहिँ तणउ वइरु सरेवि तो सहसविजउ थिउ उत्थरेंवि ॥५ स-कसाय वे वि णहें अभिडिय णं दिस-दुग्घोट्ट समावडिय ॥ ६ तें आयासेप्पिणु अभव-भव महु सत्ति विसजिय चण्ड-रव ॥ ७ विणिभिन्देवि पाडिउ ताएँ रणे उज्झहें वाहिरें उजाण-वणे ॥८ णिवडन्तउ भरहें लक्खियउ गन्धोवएण 'अब्भोक्खियउ ॥ ९ धत्ता ॥ तें अब्भोक्खण-वाणिऍण वलमणुअप्पाइउ मेरउ । आउ विसल्लु पुर्णण्णवउ णं णेहु विलासिणि-केरउ ॥ १० 2 PSA B °रणझणंतु. 3 PS 'चंडू. 4 A मोरग्ग. 5 PS णिय. 6A जोहिं. 2. 1 PA, तणउं. 2 PS A B °भिंदिवि. 3 P S A °हि. 4 P S वलु. 5 PS A B पुणु'. [१] , आरोपितमाकर्षितं वा. २ प्रतिपक्ष (?). ३ हस्ती. ४ कालक्षेपमकुर्वता. ५ भो राम. [२] १ मोक्षजन्मरामणि (?). २ सिंचित. ३ सं(स )चित्तो जातः. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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