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क० १२, ३-९; १३, १–९, १४, १-३ ]
जइ वि जणद्दणेण महि-माणें जइ वि जमे कियन्ते धणएं जइ वि पहञ्जणेण जइ वरुणें पइसइ जइ विसरणु कलि-कालहों पइसइ जइ वि विवरें गिरिकन्दरें पेसमि सत्तु तो इस हत्थे
कलऍ कुमारें अत्यन्तऍ तो अहम वलन्तऍ
पइजारूढें राम कुल - दीवें मायालु वि' विउब्वि तक्खणें
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हय-गय-रह- पाक्क भयङ्करु उप्पर पवर-विमाहिं छण्ण सत्तपवर पाया हिडिड सहि सहास मत्त मायङ्गहुँ रहवरें रहवरें तुङ्ग-तुरङ्गहुँ विरइ एम वूहु णिच्छिद्दउ
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भयगारउ दुष्पइसारउ हिवर सीय केरउ
पुव्व - दिसाऍ विजेउ जस-लुद्धउ Maraऍ मारुइ तइयऍ दुम्मुहु छट्ठऍ मन्दहत्थु सत्तमें गउ
जुज्झकण्ड-सत्तसट्टिमो संधि ७७
जइ वि तिलोयणेण वम्हाणें ॥ ३ खन्दै जइ वि तिक्खहों तणं ॥ ४ जइ वि मियङ्के अर्कै अरुणें ॥ ५ ल्हिक्कइ हें जलें थलें पायालहों ॥ ६ सप्प - कियन्तमित्त-दन्तंन्तरें ॥ ७ तो मायासुग्गीव पन्थें ॥ ८
॥ घत्ता ॥
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णिविसु वि रावणु जिअइ जइ । हुववहें किक्किन्धाहिवई' ॥ ९
[१३]
विरइड वलय- वू हु सुग्गीवें ॥ १ थिउ परिरक्ख करेविणु लक्खर्णे' ॥ २
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णं जमकरण सुड्डु अइ-दुद्धरु ॥ ३ अब्भन्तरे मणि- रयण - रवण्णउ ॥ ४
अहिणव- समसरणु परिट्ठि ॥ ५ गयवरें गयवरें पवर-रेहलहुँ ॥ ६ तुरऍ तुरऍ णरवरहुँ अभङ्गहुँ ॥ ७ णं सु-कइन्द-कog घण- सद्दउ ॥ ८ !! घत्ता ॥
दुणिरिक्खु सव्वों जणहों । अचलु अभेउ दसाणणहों ॥ ९
[१४]
पहिलऍ बारें सरहु स-रेह ॥ १ कुन्दु चत्थएँ पञ्च दहिमुहु ॥ २ उत्तर- चारें पहिलऍ अङ्ग ॥ ३
3 A जणणे, हिमाणें. 4 Ps वरुणें. 5 PSA सह. 6 A अप्पउं.
13. 1 F s विउरुव्विउ, 4 वि विउच्चि उ. 2PSAB °णि 3 P marginally notes the following variant for this pāda : उब्भिय धवल च्छत्त च्छायंवरु । 4 s च्छिण्णउ. 5 P SA वष्ण. 6s A. हु.
14. 1A विजय 2 PS सरद्दुद्धउ, A रहव उ.
[१२] १ पृथिव्यां पूज्यः २ कार्तिकेय Tकार्त्तिकेयुना. ३० हे सुग्रीव. [१३] १ रथांगानि
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