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________________ क०३, १३, ४,१-९,५,१-९] जुज्झकण्डं-सत्तसट्ठिमो संधि ७३ ॥ घत्ता॥ कहिँ तुहुँ कहिँ हउँ कहिँ पिययम कहिँ जणेरि कहिँ जणणु गछ । हय-विहि विच्छोउ करेप्पिणु कवण मणोरह पुण्ण तउ' ॥ १३ [४] हरि-गुण सम्भरन्तु विदाणेउ रुवइ स-दुक्खउ राहव-राणंउ ॥ १ । 'वरि पहरिउ पर-परंवर-चक्कएँ. वरि खय-कालु ढुक्कु अत्थक्कएँ ॥२ वरि तं कालकूडु विसु भक्खिउ वरि जम-सासणु णयणकडक्खिउ ॥ ३ वरि असि-पञ्जर थिउ थोवन्तर वरि सेविउ कयन्त-दन्तन्तरु ॥४ झम्प दिण्ण वरि जलणें जलन्तऍ वरि वगलामुहें भमिउ भमन्तएँ ।। ५ वरि वजासणि सिरण पडिच्छिय वरि ढुक्कन्ति भवित्ति समिच्छिय ॥ ६ ॥ वरि विसहिउ जम-महिस-झंडक्किउ भीसण-कालदिद्वि-अहि-डङ्किउ ॥७ वरि विसहिउ केसरि-णह-पञ्जर • वरि जोइउ कलि-कालु सणिच्छरु ॥८ ॥घत्ता ॥ वरि दन्ति-दन्त-मुसलग्गैहिँ विणिभिन्दाविउ अप्पणउ । वरि णरय-दुक्खु आयामिउ णउ विओउ भाइहे तणउ' ।। ९ [५] पक्कन्दन्तें राहवचन्दें मुक्त धाह सुग्गीव-णरिन्दे ॥१ मुक्क धाह भामण्डल-राएं मुक्क धाह पवणञ्जय-जाएं ॥२ मुक्क धाह चन्दोयर-पु.. अण्णु विहीसणेण दुक्खत्तें ॥३ मुक्क धाह अङ्गङ्गाय-वीरेंहिँ तार-सुसेणहिँ रणउहें धीरेहिँ ॥४ 20 मुक्त धाह गय-गवय-गवखेहिँ णन्दण-दुरियविग्ध-वेलखंहिँ ॥ ५ मुक्क धाहणल-णील-णरिन्देहिँ जम्वव-रम्भ-कुमुय-कुन्देन्देहिँ ॥ ६ मुक्त धाह माहिन्द-महिन्देहिँ दहिमुह-दढरह-सेउ-समुद्देहिँ ॥ ७ पिहुमइ-मइसायर-मइकन्तेहिँ मुक्क धाह सर्वेहि सामन्तेहिं ॥८ ॥घत्ता॥ '' रणे रामें कलुणु रुअन्तऍण सन्दीविउ सन्ताव-हवि । . सो णत्थि कइद्धय-साहणे जेण ण मुक्की धाह णवि ॥ ९ ____4. 1 A विद्दाणउं. 2 P A °राणउं. 3 P पहरिउं. 4 P 8 कालकुटु. 5 PS कियंत. 6 PS A जलण. 7 This pāda is not found in A. 8 P marginaly records a variant वलया'. 9 P विसहिअडं. 10 P°झडिक्विउ, A झडप्पिउ. 11 A °डंकिउं. 12 A अप्पणउं. . 13 P भायामियउ. 14 A तणउं. 5.1 P आकंदंते, s आकंदति. 2*P A दुक्खंत्तें. 3 P S गव'. 4 P A °देंदहि, s दैदहि. 5 PS सेय. 6 P रुति, 5 रुयंति. natपज० च०१० For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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