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________________ ६८ सयम्भुकिउ पउमचरिउ केण वि को वि महा-सर-जालें केण वि को विभिणु वच्छ-त्थले केण वि कहाँ विसरासणु ताडिउ केण वि कहाँ वि क णीवेंट्टिउ saण वि कहाँ वि महद्धउ पाडिउ "केण वि दन्तिदन्तु उप्पाडिउ केण वि झम्प दि रिउ - रहवरें केण वि" कहाँ विसीसु अच्छोडिउ www. 10 25 विम जीवि जैमहों 1s केण वि मेल्लिड अग्गेउ वाणु केण वि वाय झडझडझडन्तु केण वि भय-भीसणु कुलिस- दण्डु केण वि आसीवसु णाग- वासु तर्हि तेहऍ रणें कमलेक्खणासु " दुद्दरिसणु भीसणु रयणि-अत्थु ॥ घत्ता ॥ दिणु विवक्खों हियउ थिरु । पहरहों उरु सामियों" सिरु ॥ १० [१०]. 'केण वि कहों वि मुक्क पण्णत्ती णरवर पुज्जणिज्जा । के वि गुलगुलन्ति मायङ्गी केण वि सीह-विज्जा ॥ १ केण वि वारुणु गलगज्जमाणु ॥ २ केण वि कुल-पव्व धुडुवन्तु ॥ ३ किउ महिहरत्थु सय-खण्ड-खण्डु ॥ ४ hr वि गारुडु पण्णय-विणासु ॥ ५ इन्दइणा मेल्लिउ लक्खणासु ॥ ६ सोण्डीर-वीर - मोहण - समत्थु ॥ ७ णच्चन्त-पेय- वेयाल- मुहलु ॥ ८ णिसि - तिमिर - पडल-णासण-समत्थु ॥ ९ ॥ घन्ता ॥ कङ्काल- करालु तमाल- वहलु लक्खणेण पमेलिडं दिणयरत्थु दहमुह-सुऍण विलक्खण [ क० ९, २- १०:१०, १- १०, ११, १ छाइ जिह सु-की दुक्कालें ॥ २ पडिउ घुलेवि' को वि' महि-मण्डलें ॥ ३ णं हेट्ठा -मुँहु हियवउ पाडिउ ॥ ४ वलि जिह दस दिसेहिं आवट्टिउ ॥ ५ णं मउ "भाणु मडप्फरु साडिउ ॥ ६ णावइ जसु अपण भमाडिउ ॥ ७ गरुडें जिह भुअङ्ग - भुवणन्तरें ॥ ८ णं अवराह-रुक्ख - फलु तोडिउ ॥ ९ 'विरह कवि धरि दहमुह - णन्दणु णारायणेण । तोयदवाहणो वि वलएवें विष्फुरियाणणेण ॥ १ 11. 1 Ps read Jain Education International वाणु पेसियउ | गारुड - विज्जऍ तासियउ ॥ १० [११] 5 Ps सुक्कालु. 6 P भिन्नु, A दिण्णु. 7 PS घुलंतु. 8 P णवरि, S णवर. 9 PA हेट्ठामुहुं. 10 P Mafe, s fuafge. 11. 12 Lines 7.-9. are wanting in A. 13 P दि. 14 Ps कहि. 15 Ps °रुक्खु. 16 A जम्महो. 17 P s उरु पहरहों सा ( ' s भा) मियह. 101 Ps दुबई in the beginning. 2 Ps° खंड खंड, 4 ° खंडू खंडू. 3 A कालपासु 4 Ps वि मेल्लिउ. 5 A णागपासु. in the beginning. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002525
Book TitlePaumchariu Part 3
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1960
Total Pages388
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size19 MB
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