________________
5
15
५२] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
छिण्ण-वाह- णिभिण्ण-वच्छयं 'णिरसि पाणि णीविक्कमं थियं
जं हणुवह वलु आलग्गउ सवडेंम्मुहु वज्जिय-सङ्कउ
10
थक्कतें को िपवण- पुत्तु व वलु सामीरण देहि जुज्झु तुहुँ रामहों हउँ रामणहों दासु छुड ऐक्कु मै मइलउ 'णियय- वंसु तं णिसुर्णेवि उववण-मद्दणेण 'तुहुँ कवणु गहणु इँ दुज्जएण किं ण सुअउ खउ वज्जाउहासु अक्खों कयन्तु पट्टणहों केउ
wwww
25
तं णिसुर्णेवि मालिं ण किउ खेउ " णं सुअणु अणेऍहिँ दुज्जणे हिँ
रहु वाहि वाहि सवडम्मुहु हउँ पइँ घाएण जि मारमि
हवेण विसर अट्ठ - उण मुक्क आयासे ण मन्ति ण धरणि-तीदें अग्गले पच्छलें अ-परिप्पमाण rafts मालि णिविसन्तरेण earts अहिमुहु पवण- जाउ एतडेण जि तुज्झु मरड्डु जाउ
॥ घत्ता ॥
लीलऍ जिम्व "तिम्व भग्गउ । एक मालि पर थक्कड़ ॥ ११ [९]
'किं काय रेहिँ सहुँ भिडेंवि जुत्तु ॥ १ इँ मुवि मल्ल को अण्णु तुज्झु ॥ २ जिह तुहुँ तिह हउ मि महि-पगासु ॥ ३ जसु रुन्चइ जय-सिरि होउ तासु' ॥ ४ दोच्छिउ पवणञ्जय - णन्दणेण ॥ ५ हवन्तकयन्तें कुद्धएण ॥ ६ उज्जाण भनु किङ्कर-विणासु ॥ ७ हउँ सो जें पडीवर अञ्जणे ॥ ८
८ असिरहितं हस्तम् ९ निर्गतविक्रमम्.
[९] १ निजवंशं यथा.
क० ८, ९ - ११, ९, १–९, १०, १-८
काणणं व ओणल-वच्छयं ॥ ९ खीर - जलहि-सलिलं व मन्थियं ॥ १०
Jain Education International
॥ घत्ता ॥
पहरु पहरु' लई आउछु । पहिलउ तेण ण पहर मिं ॥ ९ [१०]
सर- जालें छाइउ अञ्जणे ॥ १ णं पाउसें दियरु णव-घणेहिं ॥ २ पसरन्त हणन्तं दियन्त ढुक्क ॥ ३ ण ण रहवरें हैंय - पंगीढें ॥ ४ जर जर जें दिट्ठि तर तउ जि वाण ॥ ५ रहुँ दिणु ताम्व वज्जोअरेण ॥ ६ 'कहिँ जाहि पाव खय- काल आउ ॥ ७ जं भग्गु भिडन्तें मालि-राउ ॥ ८
U
12 P A सवडम्मुहुं, s सवडम्मुह.
10 Ps णिच्छिण्ण: 11 P जें तें, s जं तें. 9.1 PS समु, 2P महिहे प', 5 महिहि प
3A एक्क. 4 PS ण. 5 A रुच्च उ. 6P होइ.
7 P s A मइ. 8 P s उज्जाणु भग्गु, A उज्जाणं गुभं 9 P परि पहरि, 9 पहरे पहरे. 10. 1 PS मालें. 2PS दियं ( P. अं त हणंत. 3 A भय' 4 P एगीटे. 5 Ps रणु.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org