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[५८] सयम्भुकिङ पउमचरिउ
तं वयणु सुप्पिणु अतुल वलु 'मुक्काउहु जो चलणेंहिँ पडइ
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for लक्खणु व णं सायरु मज्जायऍ धरिउ
णिवारियर
'खल खुद्द पिसुण तर सिर-कमलु वरि वालिखिल मुऍ वन्दि लहु तं णिसुर्णेवि णिविसें मुकुं पहु " णं गेह-कल्लोलें अमिय-तणु णं मुक्कु सुअणु दुज्जण-जणहों णं मुकुभवि भव-सायरहों
'ते रुद्दभुत्ति-वल-महुमहण थि जाइ "तेहिँ समाणु किह
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तो' वालिखिल्ल - विञ्झाहिवइ कम-कमलैंहिं णिवडिय हलहरहों स हत्थें वण समुट्ठविय 20 भरहों पाईं वे वि थविय उत्तिण तिणि वि महिहर हों णं मेरु-यम्व किण्णरहूँ विणु खेवें तोवि पराइयइँ णवण्हड रवियर-तावियज
दिणयर-वर-किरण- करम्वियेउ पइसन्तु ण भावइ मुहों किह
॥ घत्ता ॥
'सुणु लकण ' पचवित एव वलु । तें हिएं को जसु निवडई' ॥ ९ [१०]
णं वर- इन्दु कण्णारियउ ॥ १ पुणु पुणु बि चविउ मच्छर - भरिउ ॥ २ एत्तडेंण चुक्कु जं विउ बलु || ३ णं तो जीवन्तु ण जाहि महु' ॥ ४ णं जिणवरेण संसार - 'पहुँ ॥ ५
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[ क० ९, ९, १०, १- ९, ११, १-९
गरुड - विहङ्गे उरंगमणु ॥ ६ णं वारणु वारिणिवन्धणहों ॥ ७ तिह वालिखिल दुक्खोयरहें ॥ ८
॥ घत्ता ॥
हुँ कुवर - णिर्वेण चयारि जण ।
- सायर-परिमिय पुहइ जिह ॥ ९
[११] अवरोप
ह - विद्ध-मई ॥ १ मि-विणमि जेम चिरु जिणवरहों ॥ २ वैहि व समएहिं परिट्ठविय ॥ ३ लहु यि - णिय - लिहुँ पट्ठविय ॥ ४ णं भवियइँ भव- दुक्खोयैरहों ॥ ५ णं सग्गों चवियइँ सुरवरइँ ॥ ३ किर सलिलु पियन्ति तिसाइयइँ ॥ ७ सु-कुडुम्वु व खल-संतावियउ ॥ ८
॥ घन्ता ॥
जल लेवि भुऍहिँ परि-चुम्बियउ । अण्णाणहों जिणवर - वयणु जिह ॥ ९
7 P S लक्खणु एव पचविउ वलु.
10. 1 A अमिउं. 2 A धरि 3Ps मुइ 7 A दुक्खायरहो. 8 A तें. 9Ps4 सहु. 10 A तह. 11 A तेण.
4A मुक्त 5 Ps ° वहु. 6 PS उरगगणु.
11. 1 A dl. 2 P s °रइ. 3P एवहि वे समद्दहिं, एवहि व समइहि. 4s पाविक 5 A ठविय. 6 P s °णिलयहु, 4 गिलयहिं. 7s भावियइ. 8 A दुदेखायरहो. 9PSपियंत 10 P $ A णवरुण्हउं. 11.ps ° करंवियउं. 12 में परिचुंपियउं, s पचेवियर, 4 परिड वियड [१०] १ मार्गः २ राहुणा चन्द्र इव. ३ गर्ता सकाशात्.
[११] १ दुःखोदरात्. २ तापी नदी.
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