________________
.५४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क०२,१-९,३,१
थोवन्तरें 'महिहर भुअणे-सिरि सिरिवच्छे दीसइ विझइरि ॥ १ • 'इरिणप्पहु ससिपहु कण्हपहु पिहुलप्पहु णिप्पहु झीणपहु ॥२
मुंरवो व स-तालु स-वंसहरु विसहो । स-सिङ्ग महन्त-डरु ॥ ३ । मयणो व महाणल-दद्ध-तणु "जलउ व स-वारि भई व से-वणु ॥ ४. तहिँ तेहएँ सेलें अहिट्ठियइँ दुणिमित्तइँ तावं समुट्ठियइँ ॥५ फेक्कारइ सिव वायसु रसइ भीसावणु भण्डणु अहिलसइ ॥ ६ . सरु सुणेवि पकम्पिय जणय-सुअ थिय विहि मि धरेप्पिणु भुऍहिँ भुअ ॥७ 'किं"] सुउ चवन्तु वि को वि णरु जिह सउणउ माणिउ देइ वरु' ॥ ८
॥त्ता ॥ "तं णिसुणेंवि असुर-विमद्दणेण मम्भीसिय सीय जणदणेण। .. 'सिय लक्खणु वलु पञ्चक्खु जहिँ कउ सउण-विसउणेहिँ गण्णु तहिँ ॥९
'एत्थन्तरें रहस-समुच्छलिउ आहेडएँ रुद्दभुत्ति चलिउ ॥१ I ति-संहासेंहिँ रहवर-गयवरेंहिँ तहण-तुरङ्गेहिँ णरवरेंहिँ ॥२
संचलें विझ-पहाणऍण लक्खिजइ जाणइ राणऍण ॥ ३ पप्फुल्लिय-धवल-कमल-वयण इन्दीवर-दल-दीहर-णयण ॥४ तणु मझें णियम् वच्छे गरुअ जं जयण-कडक्खिय जणय-सुअ॥५
उम्मायण-मयणहिँ मोहणेहिँ वाणेहिं संदीवण-सोसणेहिँ॥६ • आयल्लिउ सल्लिउ मुच्छियउ पुणु दुक्खु दुक्खु ओर्मुच्छियउ ॥७. कर मोडइ अङ्ग वलइ हसइ ऊससइ ससइ पुणु णीससइ ॥ ८.
2. 1 भुवण. 2 A हरिणप्पहु. 3 P ससिप्पहु. 4 PS मुरउ. 5 PS सताल. 6A मसहो. 7 PS दड्ढ०.8 PS भड. 9 A ताम. 10 A भुयहिं. 11 के. 12 A निसुउ को वि चवंतु णरु. 13 P सवणउं माणि उ, S सवणउ माणिउं, A सउणोमाणिउं, 14 P s consider these two distichs as part of the main body of this Kadavaka and take distichs 1 and 2 of the next Kadavaka as the Ghattā of this Kadavaka. 15 P marginally 'गहणु' पाठे, A गहणु.
3. 1The first two distichs of this Kadavaka are considered by Ps as the Ghatta of the preceding Kadavaka. 2 PS तिसहासें. 3 The portion from णइ up to जं in 5 is missing in A. 4 s णयणेहि दिट्ठी. 5 P आइम्मिय
मायम्मिय. 6 P उमुच्छिभउ, उम्मुच्छियउ. . [२] १ हे राजन् श्रेणिक. '२ ईरण-प्रभृति विन्ध्य-गिरि-समीपे षटू पर्वताः, विन्ध्यगिरेरप्यमी नामानि केचित् प्रतिपादयन्ति. ३ वृषभः. ४ मेघ इव. ५ सव्रणो वनसहितश्च.६ पर्वते. ७ खपिनः.() • [३] १ रुद्रभुकेन. २ पीडितः.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org