SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - ५०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १५, ९:१५, १-९, १६, १-८ ॥ घत्ता ॥ तहिँ सर-णहयले रोहिणि-रण्णहिँ स-कलत्त वे वि हरि हलहर। णं परिमिय चन्द-दिवायर ॥ ९ । तहिँ तेहऍ सरे सलिले तरन्तइँ संचरन्ति चामीयर जन्तइँ ॥१ णाइँ विमाणइँ सग्गहाँ पडियइँ वण्ण-विचित्त-रयण-वेयडियइँ ॥ २ णत्थि रयणु जहिँ जन्तु ण घडियउ णत्थि जन्तु जहिँ मिहुणु ण चडियउ॥ ३ णत्थि मिहुणु जहिँ णेहु ण वडिउ णत्थि णेहु जो णउ सुरयड्डिउ ॥४ तहिँ णर-णारि-जुवइ जल-कील' कीलन्ताइँ ण्हन्ति सुर-लीलऍ ॥५ " सलिलु करेग्नेंहिँ अप्फालन्त मुरव-वज-घायइँ दरिसन्त ॥ ६. खलिऍहिँ वलिहिँ अहिणव-गेहि वन्धहिँ सुरैयक्खित्तिय-भेएहि ॥ ७ छन्देहिँ ताहिँ वहु-लय-भङ्गेहिँ करणुच्छित्तेहि णाणा-भङ्गेहिँ ॥ ८ ॥ घत्ता॥ चोक्खु स-रागउ सिङ्गार-हार-दरिसावणु । पुक्खर-जुज्झु व तं जल-कीलणउ स-लक्खणु ॥ ९ [१६] जलें जय-जय-सदें ण्हाय णर पुणु णिग्गय हल-सारङ्ग-धर ॥१ एत्थन्तरें समरें समत्थऍण सिर-णमिय-कयञ्जलि-हत्थऍण ॥२ तणु-लुहणइँ देवि पहाणऍण पुणु तिण्णि वि कुबर-राणऍण ॥ ३ . 20 पच्छण्णे भवणे पइसारियइँ चामियर-वी वइसारियह ॥४. विस्थारिउ वित्थर भोयणंउ सुकलत्तु व इच्छे ण भञ्जणउ ॥ ५ रजं पिव पट्ट-विहूसियउ तूरं पिव थालालकियउ॥६ सुरयं पिव स-रसु स-तिम्मणउ वायरणु व सहइ स-विञ्जणउ ॥ ७ तं भुत्तु सइच्छऍ भोयणउ णं किउ जग-णाहें पारणंड ॥ ८ 7s ससकलत्त, A संकलत्त. 15. 1 A सलिलु. 2 PS A घडियउं. 3 PS जहिं सुरठ ण वडिउ. 4 Ps करग्गहिं. 5 Ps मुस्य वजधाय व. 6 PS °गेयहिं. 7 P वद्धहिं, 8 वद्धइ. 8 P °सुरय खिचियतेयहिं. 9PS °णुच्छेत्तेहिं. 10 P S सरागउं. 11 Ps पुष्कर'. 12 PS A °कीलणउं. 16. 1 P सिरि, A सिरे. 2 PS पच्छण्ण. 3 P चामीयर. 4 PS °पीढे. 5 PS विस्थारिय०. 6 P S A भोयणउं. 7 A इत्थु न. 8 P SA भंजणउं. 9 P विडूसियउं. 10s कूर. 11 Ps °लतियउं. 12 ? सतिम्मणउं, s तिम्मणउं. 13 PS सर्वजणउं, A सर्विजणडं. 14 PS A पारणलं. [१५] १ अंगहारः, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy