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________________ -३६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ तं वयणु सुणेवि पइगु वीरु . [क०९,९-१०,१०,१-१०,११,१-४ चकवइ-लच्छि-लञ्छिय-सरीरु ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ 13 दसउर-णाहण लक्खिजइ एन्र्तंउ लक्खणु । रिसह-जिणिन्देंण णं धम्मु अहिंसा-लक्खणु ॥ १० [१०] . हरिसिउ वजयण्णु दिhण लक्खणेणं । पुणु पुणु णेह-णिब्भरो चविउ तक्खणेणं ॥१ 'किं देमि हस्थि रह तुरय-थट्ट विच्छुरिय-फुरिय-मणि-मउड-पट्ट ॥२ किं वत्थेंहिँ किं रयणेहिँ कजु किं णरवर-परिमिउ देमि रज्जु ॥ ३ "किं देमि स-विभमु पिण्डवासु किं स-सुउ स-कन्त होमि दासु' ॥४ तं वयणु सुर्णेवि हरिसिय-मणेण पडिवुत्तु णराहिउ लक्खणेण ॥ ५. .. 'कहिँ मुणिवरु कहिँ संसार-सोक्खु कहिँ पार्व-पिण्डु कहिँ परम-मोक्खु ॥६ • कहिँ पायउ केत्थु कुडुक-वयणु कहिँ कमल-सण्डु कहिँ विउलुं गयj ॥७ कहिँ मयगले हलु कहिँ उट्टे घेण्ट कहिँ पन्थिउ कहिँ रह-तुरय-थट्टे ॥ ८ । तं वोलहि जं ण घडइ कलाएँ अम्हइँ वाहिय भुक्खऍ खलाएँ ॥९ ॥ घत्ता ॥ तुहुँ साहम्मिउ दय-धम्मु करन्तु ण थकहि । भोयणु मग्गिउ तिहुँ जणहुँ देहि जइ सक्कहि' ॥१० [११] वुच्चइ वजयण्णणं सजल-लोयणेणं । 'मग्गिउ देमि रज्जु किं गहणू भोयणेणं' ॥१ एम भणेप्पिणु अण्णुच्चाइउ णिविसे रामों पासु पराइउ ॥ २ खणे कञ्चोल थाल ओयारिय परियल-सिप्पि-सङ्क विधारिय ॥३ बहुविह-खण्ड-पैयारेहिँ वडिउ उच्छु-वणं पिव मुह-रसियहिउ ॥ ४ 5 PS चक्कलउरू सिरिलंकियसरीरु. 6 P एंत्तउं, s यंतउ, A एतंउ. 10. 1 PS लक्खणेण. 2 PS तक्खणेण. 3 A ससुव. 4 P S साल तउ. 5A हसिय. 6 PS पावकम्मु. 7 PS कुद्धक. 8 P S विउल°.9 5 °गमणु. 10 PS घंटु. 11 Ps चट्ट. 12 PS कयावि. 13 P खलावे, s कलाइ. ____11. 1 PS A °लोयणेण. 2 A मग्गिउ सयलु देमि. 3 Ps omit, A महणु. 4 A भणेविणु. 5 PS A पयारिहिं. M [१०] १ दुष्टया; मनागपि.' [११] १ विस्तारिताः. २ सुष्ठु भाजनेषु निक्षिप्तः. , Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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