________________
10
पुणु संचल वे वि
३४] संयम्भुकिउ पउमचरित
.[के०६, ४-१०,७,१-10 उहय-चलेंहिँ हय गय विणिवाड्य उहय-वलेंहिँ रुहिरोह पधाइय ॥ ४ उहय-वलेंहिँ णित्तंसिय खग्गइँ उहय-वलेंहिँ डेवन्ति विहङ्गई। ५ उहय-वैलेंहिँ 'णीसद्दइँ तूरइँ उहय-वलइँ पहरण-खर-विहुरइँ ॥ ६ उहय-वलइँ गय-दन्तेहिँ भिण्णइँ उहय-वलइँ रण-भूमि-णिसण्णइँ ॥७ । उहय-वैलइँ रुहिरोल्लिय-गत्तइँ हक्क-डक्क-लल्लक्क मुअलइँ ॥८ एम पक्खु वट्टइ संङ्गामहो' अक्खइ सीरकुद्दुम्विउ रामहों ॥ ९
॥ पत्ता ॥ तं णिसुणेप्पिणु मणि-मरगय-किरण-फुरन्त । दिण्णु स-हत्थेंण कण्ठउ कडउ कडिसुत्त ॥ १०
[७]
वलएव-वासुएवा। जाणइ-करिणि-सहिय गय गिल्ल-गण्ड जेवा ॥१ चाव-विहत्थ महत्थ महाइय सहसकूडु जिणभवणु पराइय ॥२ .
जं इट्टाल-धवल-छुह-पङ्किउँ । सज्जण-हियउ जेम अकलङ्किउँ ॥३ 13 'जं उत्तङ्ग-सिहरु सुर-कित्ति वेण्ण-विचित्त-चित्त-चिर-चित्तिउँ ॥४ तं जिणभवणु णियवि परितुट्ठ' पयहिण देवि ति-वार वइट्टइँ ॥५ तहिँ चन्दप्पह-विम्वु णिहालिउ जं सुरवरतरु-कुसुमोमालिउ ॥६ 1"जं णागेन्द-सुरेन्द-णरिन्दहिँ वन्दिउ मुणि-विजाहर-विन्दहिँ ॥ ७ दिट्ट सु-सोहिउ सोम्मु सु-दंसणु अण्णु मि सेय-चमरु सिंहासणु ॥८ ७ छत्त-त्तउ असोउ भा-मण्डलु लच्छि-विहूसिउ 'वियड-उरत्थलु ॥९
॥ पत्ता॥ किं वहुँ(ए)-चविऍण जग को "पडिविम्वु ठविजइ ।
पुणु वि पडीवउ जइ गाहें णाहुवमिजइ ॥ १० 6 A रुहिरणइ. 7 A कड्डियई. सखग्गई. 8 वलइ. 9 PS उहयवले हिं सुपहारसुविहुरई. 10 PS उहयवलेहिं गयदन्तुभिणइ. 11 A दन्तिहिं. 12 A °वलहिं. 13 PS read the following extra hemistich between the lines 8. and 9.: वहरिहुँ कम्पु देंन्ति पहरंतई. 14 P SA सीरिकुडंविउ. 15 PS °फुरंतई. 16 PS कडिसुत्तई.
7. 1 A संचलिय. 2 P S जेम. 3 A पंकउ. 4 A अकलंकड. 5A जे. 6 PS सिहर. 7 A कित्ति. 8 A चित्तें. 9A पइष्टइं. 10 A जं नागिंदनरिंदहि दिउ मुणिविजाहरवंदहिं नंदिउ. 11s णरिंदसुरेंदहिं. 12 PS विदिहि, 13 P वहुए. वहुयं. 14 A पडिविम्वउ दिजइ. 15 P णाहिं, 5 णाहि, A णहि. 16 PS णाहु उवमिजइ, A णाहु उवमेजइ.
vvvvvvvvvv
. [६] १ भन्नानि, शब्दरहितानि वा.
[७] १ देवैः कीर्ति कृता जिनाची. २ पञ्चवर्षा शोभा. ३ पूजितः. ४ विस्तीर्णः.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org