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________________ ३२] सयम्भुकिङ पउमचरिउ तं णिसुणेपिंणु वयण-विसालें " काम लेह - णामेण विलासिणि 'त आसत्तर अत्थ-विवज्जिउ पुणु विज्जाहर करणु करेप्पिणु किर वर-भवणु पईसमि जावेंहिँ हउँ वयणेण तेण 'आदण्णउ साहम्मिड जिण - सासण-दीवउ पुणु वि विड- पय- छो किं ओलगऍ पाण लएप्पिणु धाइउ 5 पेक्ख पेक्खु आवन्तर साहणु पेक्खु पेक्खु हिंसन्तिं तुरङ्गम पेक्खु पेक्खु चिन्धइँ धुवन्तइँ 'पेक्खु पेक्खु वज्जन्तइँ तूरहूँ "पेक्खु पेक्खु सय सङ्घ र सन्ता पेक्खु पेक्खु पचलन्तउ णरवइ दसउर - णाहु णिहालइ जावेंहिँ " साहु साहु" तो एम भणेपिणु 0 [ क०३, २-१०, ४, १-९ gars astroy कुसुमालें ॥ २ तुङ्ग-पओहर जण-मण- भाविनिं ॥ ३ कारण मणि-कुण्डलहँ विसज्जिउ ॥ ४ उत्त व पाया 'कमेपिशु ॥ ५ पइज करन्तु राउ सु तावेंहि ॥ ६ वट्टइ वज्जयण्णु उच्छण्णउ ॥ ७ एम भणेपिणु वलि पडीवर ॥ ८ णिविसें तुम्हे हुँ पासु पराइ ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ जाणन्तु वि राय में मुज्झहि । जैमे णासहि जेंमें रणें जुज्झहि ॥ १० [ ४ ] अहवइ काइँ 'एण वहु जम्पिएण राया । पर-वलें पेक्खु पेक्खु उट्ठन्ति धूलि छाया ॥ १ Jain Education International गलगजन्तुं महागर्थ वाहणु ॥ २ हयले विउ भर्मन्ति विहङ्गम ॥ ३ रह- चक्क महिलें खुप्पन्तइँ ॥ ४ णाणाविह - णिणाय - गम्भीरइँ ॥ ५ 2 A णिसुणे विणु. 3A हासिणि 4P s तहो. 5s सत्त विण. 6 P पइसेवि, s पइसमि, 9 A तुम्हहं. 10 A जाजन्तु राय मा. 11 P 7 PA चलिउ. 8 A पुणु चियडप्पयच्छो हे हिं. जिम, A जिव. 12 A जिव. ाइँ सदुक्ख सयण रुअन्ता ॥ ६ गह-णक्ख-मझें सेणि णावइ" ॥ ७ पर-बलु सयलु 'विहावइ ताहिं ॥ ८ बिज्जुलङ्ग णिउ आलिङ्गेपिणु ॥ ९ 4. 14 एण काई. 2 s गलगजंत. 3Ps 6 Ps धूअंतई.. 7 Between the line 4 extra line: २ चौरेण. ३ लङ्घित्वा. ४ श्रुतम् ५ आकुलितः. [४] १ पश्यति पेक्खु पेक्खु कड्डियअसिवत्तङ्कं धाणुक्कियफारक्कियपत्तई ॥ 8 Between the lines 5. and 6. Ps read the following extra line: गलगजन्तधणुहट कारउ सुहडविमुक्कपोक्कहक्कार ॥ 9 P सुदुक्ख उ. 10 Ps गहचक्कहहो. 11 A ससि. 124 विहाविउ . महग्गय 4 PA हिंसंत, 5Ps भवति. and 5 Ps read the following For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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