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सयम्भुकिउ पउमचरिउ
थोवन्तरें तो सायरहों मज्झें विजाहर से समुह वे वि
'मरु तुम्हहँ कुइउ कयन्तु अज्जु s को पइसइ भीसणें जल - जालें को सेस-फणामणि- रयणु लेइ पच्चारि सयल वि अमरिसेण अह कुमुअ कुन्द सुणि मेहणाय दहिमुह माहिन्द महिन्द-राय
एत्थन्तरे जयसिरि-लाहवेण 1" 'एए जे दणु दीसन्ति के वि तं वयणु सुर्णेवि पणमिय- सिरेण सुग्गीवें भणिउ रामचन्दु दवणों के मु लेवि आहुँ पडिमलु ण को वि समरें 2" तं णिसुर्णेवि रामहों हियउ भिण्णु पणिवा करेष्पिणु ते पयट्ट
॥ घत्ता ॥
लइ वलहों वलहों जइ सक्कों कहिँ लङ्का उवरि पर्याणड
णलु घाइउ समुहु समुद्दहों गर गयों मइन्दु मइन्दहों
[२०] १ गर्व नीताः, गृद्धिं प्रापिताः. [११] १ गलगर्जनं कृत्वा .
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[१०]
वेलन्धर - पुरें तिर्यसहँ असज्झें ॥ १ थिय अग्गऍ दारुणु जुज्झु देवि ॥ २ को सक्कइ सक्कों हरेंवि रज्जु ॥ ३ को जीवइ ढुक्कऍ पल्य-कालें ॥ ४ को लङ्कहें अहिमुँहु पर वि देइ' ॥ ५ 'अक्किन्धाहिव अहो सुसेण ॥ ६ णल णील विराहिय पवण-जाय ॥ ७ अवर वि जे' णरवर के वि आय ॥ ८
'हेवाइय पोरक्कऍहिँ ।
से समुद्देहिँ थक्कऍहिँ ' ॥ ९ [११]
सुग्गीड पपुच्छिउ राहवेण ॥ १ कसु केरा थिय पहरणइँ लेवि ॥ २ पुणु पुणु थोग्गीरिय-गिरेण ॥ ३ 'ऍहु सेउ भडारा ऍहु समुहु ॥ ४ पाइक्काचारें थक्क वे वि ॥ ५ जइ दिन्ति जुज्झु णल-णील णवरें' ॥ ६ णिविसेण विहि मि आएस दिष्णु ॥ ७ रोमंश्ञ्च- उच्च-कञ्चुअ-विसट्ट ॥ ८
॥ घत्ता ॥
[ क० १०, १- ९, ११, १-९
10.
1 Ps तिसहु, तियसहु, A तिसहं, 2 PS जलणे. 3 Ps णियय, P marginally 'पलयकाले' पाठे. 4 P A अहिमुहुं, s अहिमु. 5Ps सुणि. 6 P णरवइ जे, 8 णरवर जे. 7 A पयाणडं. 8PS सेय.
11. 1 A के. २ P sणाउ 3 Ps विहि वि, A विहिं मि. 4 Ps रोवंच 5Pg कंचुह 6 P ओरालवि, s उरालवि, 4 ओरालिवि.
सेउ णीलु समावडिउ । जिह 'ओरालेवि अभिडिउ ॥ ९
२ शत्रुजनैः.
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