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क०८, १-९,९, १-९]
सुन्दरकण्ड-छप्पण्णासमो संधि [२८३
[८] संचलें णिय-वंसुब्भवेण दिट्टई सु-णिमित्तइँ राहवेण ॥१ गन्धोवउ चन्दणु सिद्ध-सेस जिण पुज्जेंवि वाहु सुवेस वेस ॥२ दप्पणेउ सु-सङ्ख सु-सहसवत्तु णिग्गन्थ-रूउ पण्डुरउ छत्तु ॥ ३ पण्डुरउ हत्थं पण्डुरंउ भमरु पण्डुरउ तुरंउ पण्डुरउ चमरु ॥४
सवालङ्कार पवित्त णारि दहि-कुम्भ-विहत्थी दर-कुमारि ॥५ णिमु जलणु अणुकूल वाउ पियमेलाबउ कुलुगुलइ काउ ॥६
सुणिमित्त णिऍवि जसुण्णएण वलएउ वुत्तु जम्वुण्णएण ॥ ७ 'धण्णोऽसि देव तउ सहलु गमणु आयइँ सु-णिमित्त. लहइ कवणु ॥ ८
॥ घत्ता ॥ विहसेप्पिणु वुच्चइ रामेण सई सु-णिमित्तइँ जन्ताहुँ। जग-लग्गण-खम्भु भडारउ जिणवरु हियएँ वहन्ताहुँ ॥ ९
संचलें राहव-साहणेण संघट्टिउ वाहणु वाहणेण ॥ १ चिन्धेण चिन्धु रहु रहवरेण छत्तेण छत्तु गउ गयवरेण ॥२ तुरएण तुरङ्गमु णरु णरेण चलणेण चलणु करयलु करेण ॥ ३ वलु रण-रंहसड्डिउ णहें ण माइ संचलिउ देवागमणु णा ॥४ थोवन्तरे दिट्ठ महा-समुद्दु सुंसुअर-मयर-जलयर-रउदु ॥ ५ मच्छोहर-णक-ग्गाहे-घोरु कल्लोलावन्तु तरङ्ग-थोरु ॥ ६ । वेला चहन्तु पदूहणन्तु फेणुजल-तोय-तुसार देन्तु ॥ ७ तहाँ उंवरि पयट्टर राम-सेण्णु णं मेह-जालु णहयले णिसण्णु ॥ ८
॥ घत्ता॥ णरवइहिँ विमाणारूढेंहिँ . लविउ लवण-समुह किह । सिद्धेहिँ सिद्धालउ जन्तेहिँ चउगइ-भव-संसारु जिह ।। ९
8. 1A दप्पणउं. 2 A सभासवत्तु. 3A पिंडुरउं. 4 A पंडुरडं. 5A तुरडं. GA पत्रत्त नारि. 7 PS सुणिमित्त, A सुणिमित्तइ. 8 P s विहसेविणु. 9 A राहवेण, 10•s सई: Ps take this with the previous pāda.
9. 1 P रहसिडिउ, A °रसिययड्डिउ. 2 P S संचारिमु. 3 F S A °हरु. 4 PS 'ग्गाहु. 5A 'वन्तु. 6 PS वर्द्रतउ. 7 P S दुहुदुहंतु. 8 P S उवरे. 9 P S रूढेहि, A रूढए हैं. 10 A जंतएहिं.
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