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२७६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० ६:६-९; ७, ५-१० ,१-८ मन्तिहिँ णवर कर्डच्छएँ धरियउ 'किं पहु-णित्ति देव वीसरियउ ॥ ६ जइ णासइ सियालु विवराणणु तो किं तहों रूसइ पञ्चाणणु ॥७ एव भणेवि णिवारिउ जाहिँ जाणइ मणे परिओसिय ताहिँ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ जं घर-सिहरु.दलेवि हणुवन्तु पडीवउ आइउँ । सीयहे राहउ जेम
परिओसें अङ्गे ण माइउ ॥९
[७] जं जें पयट्ट समुह किक्किन्धहाँ पवरासीस दिण्ण कइचिन्धहों ॥१ 'होहि वच्छ जयवन्तु चिराउसु सूर-पयाव-हारि जिह पाउसु ॥२ " लच्छी-सइ-सणाहु जिह सरवर सिय-लक्खण-अमुक्कु जिह हलहरु' ॥ ३ तेण वि दूरत्येण समिच्छिय सिरु णावि आसीस पडिच्छिय ॥४ पुणु एकल-वीरु जग-केसरि लहु आउच्छेवि लङ्कासुन्दरि ॥ ५ मिलिउ गम्पिणिय-खन्धावारऍ थिउ विमाणे घण्टा-टङ्कारऍ॥६
तूरइँ हयइँ समुट्ठिउ कलयलु तारावइ-पुरु पत्तु महावलु ॥७ "णिग्गय अङ्गङ्गय सहुँ वप्पें अण्ण वि णिव णिय-णिय-माहप्पें ॥८ तेहिँ मिलेंवि पइसीरिजन्तउ लक्खिउ लक्खण-रामेहिँ एन्तउ ॥ ९
। घत्ता ॥ हिण्डन्तेहिं वण-वासे जो विहि-परिणामें णट्ठउ ।. सो पुण्णोदय-काले जसु णाई पडीवउ दिट्ठउ ॥ १०.
[८] तहाँ तइलोक-चक्क-मम्भीसों मारुइ चलणेहिँ पडिउ.हलीसह) ॥ १ सिरु कम-कमल-णिसण्णु पदीसिउँ णं णीलुप्पलु पङ्कय-मीसिउ ॥२ वलेण समुट्ठाविउ सई हत्थे कुसलासीस दिण्ण परमत्थें ॥ ३ कण्ठउ कडउ मउडु कडिसुत्तउ सयलु समप्पेवि मणे पजलन्तउ ॥ ४ 25 अद्धासणे वइसारिउ पावणि जो पेसिउ सीयऍ चूडामणि ॥५
तं' अहिणाणु समुज्जल-णामों दाहिण-करयलें घत्तिउ रामहो ॥ ६ । मणि पेक्खवि संबङ्ग पहरिसिउ उरण मन्तु रोमञ्च पदरिसिउ ॥७ जो परिओसु तेत्थु संभूअउ दुक्कर सीय-विवाहें वि हूयउ ॥ ८ 4 A कच्छिए. 5 P आवइ corrected as आइउ, s आवइ. 6 A पहरिसु.
7. 1 S लच्छीइ. 2 Pणकारए, टणकारइ. 3 A पइसारिउ अंतउ. 4 A लक्खणु 5 P हिंउत्तहुँ, s हिंडतहो. 6 A °वासें. 7 A विहिं परिणामे पहिउ. 8 P S A णाइ.
8. 1A कर. 2 PS 'कमलि. 3 P पदरिसिउ, 4 P SA सई.5 PSIो.
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