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२७४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० २,३-९,३, १-3; १,१-४ 'अरें गोवाल वाल धी-बजिय वद्धउ शङ्खहि काइँ अलजिय ॥ ३ लवणु समुदहों पाहुडु पेसहि सासय-थाणे सुहाइँ गवेसहि ॥ ४ मेरुहें कणय-दण्डु दरिसावहि दिणयर-मण्डलें दीवउ लावहि ॥ ५
जोण्हावइहें जोण्ह संपाडहि लोह-पिण्डे सण्णाहु भमाडहि ॥ ६ । इन्दहाँ देव-लोउ अप्फालहि । महु अग्गएँ कहाउ संचालहि ॥७ तं णिसुणेवि पवोल्लिउ सुन्दरु पवर-भुअङ्ग-वद्ध-भुअ-पञ्जरु ॥८
॥ घत्ता ॥ 'रावण तुज्झु ण दोसु लइ टुक्कउ मुणिवर-भासिउ । अण्णहिँ कईंहिँ दिणेहिँ खउ दीसइ सीयहें पासिउ' ॥ ९
[३] दुबयणहिँ दहवयणु पलित्तउ केसरि केसरगग णं छित्तउ ॥१ 'मरु मरु लेहु लेहु सिरु पाडहाँ णं तो लहु विच्छोडेंवि' धाडहों ।। २ खरें वइसारा सिरु मुण्डावहाँ वेलऍ वन्धेवि घरे घरे दावों' ॥ ३
तं णिसुणेवि पधाइय णिसियर असि-झस-परसु-सत्ति-पहरण-कर ॥ ४ 15 तहिँ अवसरे सरीरु विहुणेप्पिणु पवर-भुअङ्ग-वन्ध तोडेप्पिणु ॥५
मारुइ भड भञ्जन्तु समुद्विउ सणि अवलोयणे णाइँ परिट्रिउ ॥ ६ जउ जउ देइ दिहि परिसक्कइ तर तउ अहिमुह को विण थक्कइ ॥७ भणइ दसाणणु 'सइँ संघारमि जेत्त जाइ तं जें मरु मारसि ॥८
॥ घत्ता ॥ वञ्चेवि सेण्णु असेसु विजाहर-भवर्ण-पईवहाँ। मुहें मसि-कुच्चउ देवि गउ उप्परि दहगीवहाँ ॥९
[४] थिउ वलु सयलु मडप्फर-मुक्कउ जोइस-चक्कु व थाणहाँ चुक्कउ ॥१
कमल-वणु व हिम-वाएं दड्डउ दुविलासिणि-वयणु व दुवियंड्रउ ॥ २ 23 रयणिहिँ वर-भवणु व णिद्दीवउ किर उट्टवणु करेइ पडीवउ ॥ ३
भणइ सहोअरु 'जाउ कु-दूअउ एत्तडेण किं उत्ति, हूअउ ॥४ 2 P उप्फालहिं, 5 उप्फालहि. 3 PS भासियउ. 4 Ps कहिमि.
3. 1 P विच्छारिवि, S विच्छारेवि. 2 P S A मुंडावहु. 3.P विल्लई, s विल्लइ, A वेल्लइ. 4 PS फ़रसु. 5 P8 इ. 6 P तई जि सई मारमि, S तइ जि सइ मारभि. 7 P S "वंस.. 8 Ps कुंचउ. 9 8A उप्परे.
4. 1 PS थिय. 2 PS मडप्फरु. 3 P अविभट्टउ, अवियड्डउ. 4 PS उत्तमु. [२] १ व्याख्या यसि.
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