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क० ११:२१,२, १-२
सुन्दरकण्डं-पञ्चवण्णासमो संधि [ २७३
[१] 'एत्तहें जिणवर-वयणु ण चुक्कइ एत्तहें वम्महु वमहाँ ढुक्कइ ॥ १ एत्तहें भव-संसारु विरुवउ एत्तहे विरह-परबसिहूअउ ॥ २ एत्तहें णरएँ पडेबउ पाणेहिँ एत्तहे भिण्णु अणङ्गहों वाणेहिँ ॥ ३ एत्तहें जीउ कैसाऍहिँ रुम्भइ एत्तहें सुरय-सोक्खु कहिँ लब्भइ ॥ ४ । एत्तहें दुक्खु दुकम्मों पासिउ एत्तहे जाणइ-वयणु सुहासिउ ॥ ५ एत्तहें हय-सरीरु चिलिसावणु' एत्तहें सुन्दरु सीयहें जोवणु ॥ ६ एत्तहें दुलहइँ" जिण-गुण-वयण' एत्तहें मुद्धइँ सीयहें णयण ॥ ७ एत्तहें जिणवर-सासणु सुन्दर एत्तहे जाणइ-वयणु मणोहरु ॥ ८ एत्तहें असुहु कम्मु णिरु भावइ एत्तहें सीय-अहरु को पावइ ॥९ एत्त णिन्दिउ उत्तम-जाइहें एत्तहें केस-भारु वरु सीयहें ॥ १० एत्त, णरउ रउद्घ दुरुत्तर एत्तहें सीयहे कण्ठु सु-सुन्दरु॥११ एत्तहें णारइयहुँ गिर 'मरु मरु' एत्तहें सीय] मणहरु थणहरु ॥ १२ एत्तहें जम-गिर 'लइ लइ धरि धरि' एत्तहे जाणइ लडह-किसोयरि ॥ १३ एत्तहें दुक्खु अणन्तु दुणित्थरु एत्तह सीयहें रमणु स-वित्थर ॥ १४ एत्तहे जम्मन्तरें सुहु विरलउ एत्त सुललिय-ऊरुव-जुवलउ ॥ १५ एत्तहे मणुव-जम्मु अइ-विरलउ एत्तहें जंघा-जुअलँउ सरलउ ॥१६ एत्त एउ कम्मु ण वि विमलउ एत्त, सीयहे वरु कम-जुअलउ ॥ १७ एत्त पाउ अणोवमु वज्झइ एत्तहे विसऍहिँ मणु परिरुज्झइ ॥ १८ एत्तहें कुविउ कयन्तु सु-भीसणु एत्तहँ दुत्तरु मयणहाँ सासणु ॥ १९ 20 कवणुं लएमि करणु परिसेसमि तो वरि एवहिँ णरऍ पडेसमि ॥ २०
॥ घत्ता ॥ .' मणमि जिह ण वि सोक्खु पर-तिय पर-दबु लयन्तहाँ । जं रुच्चइ तं होउ तहाँ रामों सीय अ-देन्तहाँ ॥ २१ [२]
25 अइ अप्पमि तो लञ्छणु णामहाँ जणु वोल्लेसइ “सङ्किाउ.रामहों"' ॥१ मणे परिचिन्तॆवि जय-सिरि-माणणु हणुवहाँ सम्मुह वलिउ दसाणणु ॥२ 6 PS मम्में, A वम्महे. 7 PS परावसि. 8 Ps transpose the Pidas. 9A लक्खइ. 10 A जिणवर. 11 PS दुल्लहाइ जिणवयणइं. 12_P_S °जीयहि. 13 ' s रवणु. 14 :P जुभलुउ, s जुअलुव, Aचारणे जुयल उ. 15 F S परिखुब्भइ. '16 8 लयेवि. 17 P कमणु. 18 PS पईसमि. 19 P मोक्खु. 20 Aण. 2. 1 A सम्मुहुं वोल्लिड.
स. प. च.३५
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