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०.६,६-१०७,1-41८] सुन्दरकण्ड-दुवण्णासमो संधि [२५३ सावट्ठम्भ भड्ड वोल्लाविष्ट 'किं भो पवण-पुत्त चिन्ताविउ ॥६ णासु णासुजई पाणहूँ भीयउ इन्दइ जाम ण आवइ वीयउ' ॥७ तं णिसुणेवि पहञ्जण-जाएं रिउ वच्छयले विद्धु णाराएं ॥८ तेण पहारे णिसियरु मुच्छिउ पडिवउ दुक्खु दुक्खु ओमुच्छिउ ॥९
॥ घत्ता ।। तहिँ अवसर झाइय पासु पराइय अक्खों अक्खय-विज किह। देवत्तणे लद्धऍ केवलि-सिद्धऍ परम-जिणिन्दहों रिद्धि जिह ॥१०
पभणिय भडेंण 'चिन्तिउ किण्ण वुझहि । एत्तडउ कर एण समाणु जुज्झहि ॥ पहसिय-मुहऍ णर-सुर-पुज्जणिज्जए।
संवोहियउ अक्खउ अक्खय-विजए(?) ॥१ "अहो मन्दोअरि-णयणाणन्दण लङ्का-णयरि-णराहिव-णन्दण ॥२ जं पभणहि तं काइँ ण इच्छमि - सिरसा वज्जासणि वि पडिच्छमि ॥.३ जइ हउँ अक्खय-विज्जा रूसमि तो णिविसर्द्ध सायरु सोसमि ॥४ ईन्दहों इन्दत्तणु उद्दालमि मेरु वि वाम-करग्गे टालमि ॥ ५ णवरि एक्कु गुरु सव्वहुँ पासिउ उ अ-पमाणु होइ मुणि-भासिउ ॥ ६ . पह मि मइ मि हणुवन्तहों हत्थें जाएवउ वजाउह-पन्थें ॥ ७
॥ घत्ता ॥ एम वि जइ जुज्झहि कज्जु ण वुज्झहि तो पडिवारउ करहि रणु। जिम्मवेवि स-चाहणु माया-साहणु होमि सहेज्जी एक खण् ॥८
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'तोणिम्मविउ माया-वलु अणन्तउ । मेहउलु जिह दस-दिसि-बहु भरन्तउ ॥ जले थलें गयणे भुवणन्तरे ण माइओ।
अञ्जण-सुअों पहरण-करु [प]धाइओ ॥१ js सो घइवसविमूह वो. 10 P S पावइ. 11 PS उम्मूच्छिउ. 12 P Sबिजु.
7. 1 Ps have दुवई ॥ in the beginning. 2 PS करेवि. 3 PS संवोहिउ. 428 पभणइ. 5 P s read मेरु जि वामकरग्गे चालमि इंदहो इंदत्तणु पुणु टालमि. 6 Ps गवर, मवरि. 78 पहु.8Aमस्य.
8. 1P.S. read दुवईn in the beginning. 2888.3P म..4 पारम कमाइनो, पाहड, धायड. [६] १ मी मारथि मामेदं (९).
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