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*०६, 5-10,७,१-९]
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सुन्दरकण्डं-पण्णासमो संधि [२३५
सुणि जिह जडाइ संघारियउ रण रयणकेसि विथोरियउ ।
सहसूगइ सरेहिँ वियारियउ सुग्गीउ रजें वइसारियां' ॥ १ तं णिसुणेवि सीय परिओम्सय 'साहु साहु भो' एम पघोसिय ॥२ 'सुहड-सरीर-वीर-वल-मद्दहाँ सच्चउ भिच्च होहि वलहद्दों' ॥ ३ ॥ पुणु पुणु एम पसंस करन्तिए परिहिउ अङ्गुत्थलउ तुरन्तिऍ॥४ रेहइ करयल-कमलाइ उ • णं महुअरु मयरन्द-पंइद्धउ ॥५ ताव चउत्थर पहरु समाहर लकहिँ दिण्णु णाइँ जम-पडहउ ॥ ६ णाइँ पघोसइ 'अहों अहाँ लोयहाँ धम्मु करहाँ धण-रिद्धि म जोयहाँ ॥७ सच्चु चवहाँ पर-दधु म हिंसहाँ जे चुकहों तहाँ वइवस-महिसहाँ ॥ ८ ॥ पर-तिय मज्जु मंसु महु वञ्चहों में चुकहाँ संसार-पवञ्चहाँ ॥ ९
॥त्ता ॥ मं जाणेजहों पहरु गउ जमरायहाँ केरउ आण-करु । तिक्खेंहिं णाडि-कुढारऍहिँ दिदिवें छिन्देवउ आउ-तरु' ॥ १०
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णं पुणु वि पघोसइ घडिय-सरु 'हउँ तुम्हहुँ गुरु उवएस-करु ।
जग्गों जग्गहों केत्तिउ सुअों मच्छरु अहिमाणु माणु मुअों ॥१ . किण्ण णियच्छहों आउ गलन्तउ णाडि-पमाणेहिँ परिमिज्जन्तउ ॥२ अट्ठारह सय-सङ्घ-पंगासेंहिँ सिद्धेहिँ सडसिएहिँ ऊसासँहिँ ॥ ३ णाडि-पमाणु पगासिउ एहउ विहिँ णाडिहिँ मुहुत्तु तं केहउ ॥ ४ ॥ सत्त-सयाहिएहिँ ति-सहासेंहिँ अण्णु वि तेहत्तरि-उसासेंहिँ ॥५ ऐक्कु मुहुँत्त-पमाणु णिवद्धउ दु-मुहुत्तेहिँ पहरभु पंसिद्धउ ॥६ । पहरडु वि सत्तद्ध-सहासेंहिँ अण्णु वि छायालेहिँ ऊसासेंहिँ ॥ ७ . विहिँ अर्केहि "दिणद्धहाँ अउ वाणवई-ऊसासेंहिँ वद्धउ ॥८ अण्णु वि पण्णारहहिँ सहासेंहिँ पहरु पगासिउ सोक्ख-णिवाहिँ ॥९ 25
6. 1 PS विच्छारियउ. 2 P सरहिं. °हि. विड्डारियउ. 3 P S परितोसिय. 4 PS करयले. 5 °इट्ठउ. 6 °पइट्टउ.7 A समाहउं. 8 SA लंकहि. 9 P S जमपडहउ णं आइउ (आहउ),
पडहाउं. 10 P जाणेऽजहो. 11 PER. थिउ. 7. 1 SA omit this word. 2 A किंतु न पेच्छहो. 3 P S 'पगासिहं, A °पगासहि. 4 P एहउं. 5 PS मुहुत्तु. 6 P पसिद्धउं, A पसिद्धिउ. 7 P अद्धउं. 8 P मोक्खसहासेहि glossed as मोक्षसुखासीनैः, s मोक्खसहासिहि. [६] १ यम-महिषात्. २ घटिका-कुठारेण.
[७] १ भटिका, तस्य प्रमाणे उखा(च्छ्वा)स १८८६ प्रकाशिताः. २ ऊखा(च्छा)सैः ३७७५ मुहूर्तमेकं. ३ उखा(च्छा)स ७५४६. ४ प्रहरमेक १५०९२ उस्खासाः, ५ घटिका-पर्यायः. . .
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