SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 232
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के०१,९,२,१-१०,३,१-७] सुन्दरकण्डं-पञ्चचालीसमो संधि [ १९१ . ॥ घत्ता परमागमु सबों पासिउ । किं चुक्कइ मुणिवर-भासिउ' ॥९ ॥ वडारउ.वडन्तरण जम्म-सए वि णराहिवइ ॥ तं णिसुणेविं सुग्गीवहाँ हरिसिय-गत्तहो। . फिट्ट भन्ति जिण-वयणेहि जिह मिच्छत्तहो ॥१ आगम-वलेण उवलद्धएण . अवलोइउ सेण्णु कइद्धएण ॥२ 'किं को वि अत्थि एत्तियहँ मज्झें जो खन्धु समोड्डई गरुअ-चोझे ॥ ३ जो उज्जालइ महु तणउ वयणु जो दरिसइ वलहों कलत्त-रयणु ॥४ जो तारइ दुक्ख-महाणईहें। जो जाइ गवेसउं जाणईहें ॥ ५ तं णिसुगवि जम्बउ चविउ एव 'हणुवन्तु मुऍवि को जाइ देव ॥ ६ णउ जाणहुँ कि आरुङ सो वि जं णिहउ सम्वु खरु दूसणो वि ॥ ७ "रोसु धरैवि मज्झार-तणुउ रावणहों मिलेसइ णवर ह]उ ॥ ८ जं जाणहाँ चिन्तहों तं परंसु तें मिलिए मिलियउ जगु असेसु ॥९ ॥ घत्ता ॥ विहि मि राम-रामण-वलहुँ एक्कु वि वडिमंड ण दीसइ। सहुँ जय-लच्छिऍ विजउ तहिँ पर जहिँ हणुवन्तु मिलेसई' ॥१० . 'तं णिसुर्णेवि किक्किन्ध-णराहिउ रञ्जिओ। लच्छिभुत्ति हणुवन्तहाँ पासु विसजिओ ॥ १ 'पइँ मुऍवि अण्णु को वुद्धिवन्तु जिह मिलइ तेम करि किं पि मन्तु ॥२ गुण-वयणहिँ गम्पिणु पवण-पुत्तु भणु “एत्थु कालें रूसेंवि ण जुत्तु ॥ ३ खर-दूसण-सम्वु पसाहियंत्त अप्पणु दुच्चरिऍहिँ मरणु पत्त ॥४ णउ रामों णउ लक्षणों दोसु जिह तहों तिह सवहाँ होइ रोसु ॥ ५ . भणु एत्तिएण कालेण काइँ चन्दणहिहे चरियइँ ण वि सुयाइँ॥ ६ 25 लक्खण-मुक्कएँ विरहाउराएँ खर-दूसण माराविय खलाएँ"' ॥ ७ 2. 1 Ps फिदृइ. 2 PS एत्तियहु. 3 P S समोडइ. 4 A तणउं. As लहु सुकलत्त. 6 P A दुक्खु, s महाणई हिं. 7 A गवेसइ. 8 A omits the portion from जम्वउ up to दूसणो वि in line 7. 9°P S जाणहु. 10 PS खर. 11 s तें. 12 s A मामहो तणउं, P marginally. 13 SA हणुउं 14 A वट्टिम नं. 3. 1P S °णराहिवो. 2 Ps A रंजिउ. 3 P SA विसजिउ. 4 PS असहिअणत्त, P marginally पसाहियत्वा(sic). 5s अप्पुणु. 6 PS णउ. [२] १ मध्य-क्षामः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy