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________________ णं धरु धरहें गब्भु णीसरियउ पहिलंड व णामेण पइण्ड ates जण-मण- यणाणन्दणु • तइयर वणु सुहसेउ सुहाँउ चउथ वणु णामेण समुच्चउ चारण- वेणु पञ्चम रर्वण्णउ छट्ठर वणु णामेण णिवोहर सत्तमु वणु सीयलु सच्छायउ 10 15 १७०] सयम्भुकिउ पउमचरिउ 20 तहिँ गिरिवर- पट्टे थिय गयवर-खन्धे [९] www. — सेत्तर्हि उववणेहिं परियरियउ ॥ १ सज्ज - हिउ जेम विर्थिण्णउ ॥ २ णावर जिणवर-विम्वु स-चन्दणु ॥ ३ जिणवर - सासणु णाइँ से सावर ॥ ४ वग-वलाय-कारण्ड-सकोञ्च ॥ ५ चम्पय-तिलय-वल-संछण्णं ॥ ६ महुअर - रुणुरुण्टन्तु सुसोह ॥ ७ पमउजाणु णाम - विक्खायंउ ॥ ८ ॥ घन्ता ॥ सोहइ लङ्काणयरि हि । गहिय- पाहण हुअ जिह ॥ ९ [१०] Jain Education International [ क० ९, १–९, १०, १५ तावत्थु णिज्झाइय वावि असोय - मालिणी हेमवण्ण स-पओहर मणहर णाँइँ कामिणी ॥ १ चउ-दुवार - चउ गोउर- चउ-तोरण-रखण्णिया चम्पय-तिलय-वउल-णारङ्ग-लवङ्ग-छण्णिया ॥ २ तहिँ पसें वइदेहि वेष्पिणु गउ दसाणणो झिमाणु विरहेण विसंथुलु विमणु दुम्मणो ॥ इं मयण-वाण-जज्जरियउ जरि दुवारं वारओ दूइआउ आवन्ति जन्ति सयवार - वारओ ॥ ४ वयणएहिं खर-महुरेहिं मुहु सूसई विसूरए छोहें छोहें णिवर्डेन्तऍ जूआरो व जूरए ॥ ५ 9. 1 P सत्तेहि, 8 सत्तिहि. 24 पहिलउं 3PA पइण्णउं. 4 P हिअउं 5P विच्छिण्ण, s विच्छिन्नउ, A विच्छिन्नउं. 6P सुहावउं 7A पिउ. 8 A पंचमउं. 9s रवण्णउं, A 12 P पउमुजाणु s पउमुज्जाणु. 13 P णामें, s रवन्नउं. 10 P A संच्छण्णउं 11 P सुसोहउं णामे. 14 P विक्खायउं 15 मज्झे, s मज्झि 3 10. 1 Ps वाइ. 2 F S A णाइ. 3 Ps सिजमाणु. 4 P दूमणो, S दूमणे. 5 P जरियउ. 6 Ps दुव्वारवारउ 7Ps वारउ 8P वयणेहिं, s वयणेहि 9Ps सुसइ विसूरई 10 P विडतिए, s णिवडंतिइ. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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