SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६८] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क०५, १-१०,६, 1-1. रावण जे रमन्ति परदार' दुक्खइँ ते पावन्ति अपारइँ॥१ जम्हि ते सत्त णरय भय-भीसण हसहसहसहँसन्त स-हुवासण ॥२ हुहुहुहुहुहुहुहन्त स-उपद्दव सिमिसिमिसिमिसिमन्त- किमि-कदम ॥३ रयणि-सकर-कालुय-पङ्क-प्पह धूमप्पह-तमपह-तमतमपह ॥४ तहिँ असरालु कालु अच्छेवउ पहिलऍ उवहि-पमाणु जिवेवउ ॥ ५ तिणि सत्त वीसद्ध रउद्दइँ सत्तारह वावीस समुद्दइँ॥६ पुणु तेतीस-जलहि-परिमाण जहिँ दुक्खइँ गिरि-मेरु-समाणइँ ॥ ७ . जो पुणु णरउ णिगोउ सुणिजइ मेइणि जाव ताव तहिँ छिज्जइ ॥८ " तें कजें पर-दारु ण रम्मइ तं किजइ जं सुगइहिँ गम्मई ॥९ ॥ घत्ता ॥ आरुढ दसासु 'किं पर-दारहों एह किय। . . "तिहुँ खण्डहुँ मज्झें अक्खु परोईय कवण तिय ॥ १० [६] 1 तो अवहेरि करेवि विहीसणे चडिउ महग्गएँ तिजगविहूसणें ॥ १ सीय वि पुष्फ-विमाणे चडाविय पट्टणे हट्ट-सोह दरिसाविय ॥२ संचल्लउ णिय-मण-परिओसें झल्लरि-पडह-तूर-णिग्धोसें ॥ ३ 'सुन्दरि पेक्खु महारउ पट्टणु वरुण-कुवेर-वीर-दलवट्टणु ॥ ४ सुन्दरि पेक्खु पेक्खु चउ-वार णं कामिणि-वयणइँ स-वियारइँ॥५ 2" सुन्दरि पेक्खु पेक्खु धय-छत्तइँ । पप्फुल्लिय िणाइँ सयवत्तइँ ॥ ६ सुन्दरि पेक्खु महारउ राउलु हीर-गहणु मणि-खम्भ-रमाउलु ॥ ७ सुन्दरि करहि महारउ वुत्तउ लइ चूडउ कण्ठउ कडिसूत्तउ ॥८ सुन्दरि करि पसाउ लइ चेलिउँ चीणउ लाडु घोडु हारेकेलिउ ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ महु जीविउ देहि वोल्लहि वयणु सुहार्वणउ । चडु भयवर-खन्थें लइ महएवि-पसाहणउ' ॥१० 5. 1 PA रामण, 2 P A °हसंहसंतहुआसण. 3 s °हुहंति. 4 A वहु. 5 P S A रयणीसक्कर'. 6 S अच्छेव्बउ. 7 PS पहिलउ. 8 PS जिजइ. 9 Ps सुहगइ. 10 PS दसाणणु. 11 P A तिहु, तिह. 12 A पराई. 6. 1 PS संचल्लिउ. 2 P A अवियारइ. 3 A°गहण. 4 P चेल. 5A चीणउं. 6 P लाडू, S णाडु. 7 s A सुहावणउं. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy