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________________ १६६] सयम्भुकिउ पउमचरिउ [क० १, ४-९,२,१-६ सप्परियण कहि तुहुँ एक्कल्ली अक्खहि केम वणन्तर भुल्ली ॥४ 1°के कजेण वणवासु पइट्ठी चक्केसरेण केम तुहुँ दिट्ठी ॥५ किं-माणुसि किं खेयर-णन्दिणी किं कुसील किं सीलहों भायणि ॥ ६ अण्णु विव] तुम्ह देसन्तरु कहहि वियारेवि णियय-कहतरु' ॥७ 5 एम विहीसण-क्यणु सुणेविणु लग्ग कहेवएँ जिम णिसुणइ जणु ॥८. ॥ घत्ता ॥ 'अह किं वहुएण लहुअ बहिणि भामण्डलहौं । हउँ सीयाएवि जणयहों सुअ गेहिणि वलहों ॥९ । [२] ॥ वन्धेवि राय-पटु भरहेसहों तिणि वि संचल्लिय वणवासों ॥ १ सीहोयरहों मडप्फरु भावि 'दसउर-णाहों णिय-मणु रजेवि ॥ २ पुणु कल्लाणमाल मम्भीसेवि 'णम्मय मेल्लवि विञ्झु पईसेवि ॥३ 'रुद्दभुति णिय-चलणहिँ पा.वि वालिखिल्लु णिय-णयरहों धाडेवि ॥ ४ रामउरिहिँ चउँ मास वसेप्पिणु धरणीधरहों धीय परिणेप्पिणु ॥ ५ । फेडेंकि अईवीरहों वीरत्तणु पइसरेवि खेमञ्जलि-पट्टणु ॥ ६ तेत्थु वि पञ्च पंडिच्छेवि सत्तिउ सत्तुदवणु मसि-वण्णु पवित्तिः ॥७ · पुणु तहों तणिय धीय परिणेप्पिणु मुणि-जुअलहों उवसग्गु हरेप्पिणु ॥ ८ ॥घत्ता ॥ हरि-सीय-वलाई आयइँ सज्जइँ आइयई। *णं मत्त-गया दण्डारण्णु पराइयइँ ॥९ 8 PS सहुँ परियणणेण. 9 PS मि. 10 Ps किं. 11 PS सीलब्भायाणे. 12 Ps कहि तुम्हह. 13 PS सुणिवि विहीसणवयणु सुहावणु, 14 PS चविजइ, A कहेव्वइ. 15 P s जिह. 16 After line 8 all the three Mss. read the following as the Ghattā: दसरह-तव-कारणु सचद्धारणु वजयण्ण-सुमइहिँ भरिउ । जिण-वर-गुण-कित्तणु सीय-सइत्तणु तं णिसुणहाँ राहव-चरिउ ॥ Now these lines occur previously. They have not much relevancy here. They are not spoken by Sītā. The lines that follow this distich are given as heading the following Kadavaka, where they are quite out of place. Hence the above distich is a clear interpolation. 2 1 P भंजवि. 8 मंजिवि.2P रंजवि, रंजिवि. 3A लेवि. 4A रूहहरिउ,5s स्थाणहो घारिवि. 6 PS रामाउरि.7A चाउमास. 8 A अइधीरहो धीरत्तणु.9 PA पडिच्छिवि, पडिच्छिउ. 108 पवित्त, A पवित्तिउ corrects as पवित्तउ. 11 PS सजा, A सेजए. 12 s जिह. [२] १ वज्रकर्णस्य. २ नर्मदा नदी. ३ भिल्ल राजा. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002524
Book TitlePaumchariu Part 2
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages370
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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