________________
९२] सयम्भुकिउ पउमचरित
[क० १२,१-१,१३,-"
[१२] ताव मुणिन्दहँ णाणुप्पत्तिएँ आय सुरासुर-वन्दणहत्तिएँ ॥ १ जेहिँ कित्ति तइलोके पगासिय जोइस वेन्तर भवण-णिवासिय ॥ २ पहिलउ भावण सङ्घ-णिणदें वेन्तर तूरैयफालिय-सवें ॥३/ । जोइस-देव वि सीह-णिणाएं कैप्पामर जयघण्ट-णिणाएं ॥ ४ .
संचलिएं चउ-देवणिकाएं छाइउ णहु णं घण-संघाएं ॥५ वहइ विमाणु विमाणे चप्पिउ वाहणु वाहण-णिवह-झडप्पिउ ॥ ६ तुरउ तुरङ्गमेण ओमाणिउँ सन्दणु सन्दणेण संदाणिउ ॥ ७ गयवरु गयवरेण पडिखलियउ लग्गेवि मउडे मांडु उच्छलियउ ॥ ८
॥ घत्ता ॥ भावें पेल्लियर भय-मेल्लियउ सुर-साहणु लीलए आवह । लोयहुँ मूढाहुँ तमें छूढाहुँ णं धम्म-रिद्धि दरिसावइ ॥९
[१३] ताव पुरन्दरेण अइरावउ साहिउँ जण-मण-णयण-सुहावउ ॥१
सोह दिन्तु चउसट्ठी-णयणहिँ गुलुगुलन्तु वत्तीसहिँ वयणेहिँ ॥२ 1 वयणे वयणे अट्ठट्ट विसाणइँ णाइँ सुवण्ण-णिवद्ध-णिहाण ॥ ३
एक्कक्कएँ विसाणे जण-मणहरु एक्केक्कउ जें परिवउ सरवरु ॥ ४ सरें सरें सर-परिमाणुप्पण्णी कमलिणि एक-एक णिप्पण्णी ॥५एकेकहें पउमिणिहें विसालइँ पङ्कयाइँ वत्तीस स-णालइँ॥६
कमले कमलें वत्तीस जि पत्तइँ पत्ते पत्ते णट्टाइ मि तेत्तइँ ॥ ७ 2° वद्धिउँ जम्बूदीव-पमाणे पुणु जि परिहिउ तेण जि थाणें ॥८
तहिँ दुग्घोट्टे चडेवि सुर-सुन्दरु वन्दणहत्तिएँ आउ पुरन्दरु ॥९. पुरउ सुरिन्दहाँ णयणाणन्देहिँ गुरु पोमाइउ वन्दिण-वन्देहि ॥ १०
॥ धत्ता ॥ 'देवहीं दाणवहाँ खल-माणवहाँ रिसि चलणेहिँ के ण लग्गहों। 25 जेहिं तवन्तऍहिँ अचलन्तऍहिँ इन्दु वि अवयारिउ सग्गहों ॥११ ___ 12. 1 P°मुणिं दहो, 9 मुणिंदहु. 2 A वितर भवण जे संखनिनाएं. 3 A तूर फालियाघोएं. 4 P omits this rada. 5 P ज्झडिप्पउ. 6 PS उम्माणिउ.7A संदाणि उं. 8 PS मउडू, A मउः 13. 1 A पसहिउ. 2 P Q. 3 After line 6, s reads the following extra
कमले कमले बत्तीस दलाई णवमयरंदरिद्विवहलाई। 4 A वद्ध वि. 5 P जि ण. 6 P वंदणवंदहि, वंदणवंदिहिं, A वंदिणविंदेहिं. 7 Ps किण्ण वलग्गहो. 8 P जहिं तवतेऐहि, s जहि तवतेयहिं. 9 P पहवंतएहिं, 8 पहवंतयेहि.
{१२] १ निरुद्धः. [१३] १ सजीकृतः, साधितः. २ देवसमूहै:..
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org