________________
६४] सयम्भुकिउ पउमचरिउ
[क० ६,९,७,१-९,८,१-८
॥ घत्ता
॥
तं पेक्खप्पिणु रामउरि भुअण-संहास-विणिग्गय-णामहों । मञ्छुडु उज्झाउरि-णयरु जाय महन्त भन्ति मणे रामहाँ ॥९
[७] । जं किउ विम्भउ सासय-लक्खें वुत्त णवेप्पिणु पुअण-जक्खें ॥ १ 'तुम्हारउ वण-वसणु णिएप्पिणु किउ मैइँ पट्टणु भाउ घरेप्पिणु' ॥२ एम भणेवि सुवित्थय-णामहों दिग्ण सुघोस वीण तें रामहाँ ॥ ३ दिण्णु मउडु साहरणु विलेवणु मणि-कुण्डल कडिसुत्तउ कङ्कणु ॥४
पुणु वि पजम्पिउ जक्ख-पहाणउ 'हउँ तउ भिच्चु देव तुहुँ राणउ' ॥ ५ 10 एव वोल्लु णिम्माइय जाहिँ कविलें णयरु णिहालिउ ताहिँ ॥ ६
जण-मणहरु सुर-सग्ग-समीणउ वासवपुरहों वि खण्डइ माणउ ॥ ७ तं पेवेवि आसङ्किउ वम्भणु 'कहिँ वित्थिण्णु रण्णु कहिँ पट्टणु' ॥ ८
॥ घता ॥ थरहरन्तु भय-मारुऍण समिहउ घिवि पणासइ जाहिँ । मम्मीसन्ति 'मियङ्कमुहि पुरउ स-माय जक्खि थिय ताहिँ ॥९
[८] 'हे दियवर चउवेय-पहाणा किण्ण मुणहि रामउरि अयाणा ॥ १ जण-मण-चल्लहु राहव-राणउ मत्त-गइन्दु व पंगलिय-दाणउ ॥२ तकुव-भमर-सएहिँ ण मुच्चइ देइ असेसु वि जं जसु रुच्चइ ॥३ 20 जोयई(१) जिणवर-णामु लएइ तहाँ कड्डेप्पिणु पाण. देइ ॥ ४ ऍउँ जं वासव-दिसऍ विसालउ दीसइ तिहुअण-तिलउ जिणालउ ॥५ तहिं जो गम्पि करइ जयकार पट्टण णवरि तासु पइसारु' ॥६ तं णिसुणेप्पिणु दियवर धाइउ णिविसें जिणवर-भवणु पराइउ ॥७ तं चारित्तसूरु मुणि वन्देवि विणउ करेंवि अप्पाणह णिन्देवि ॥८ 1.0 भत्ति.
7. 1 A साहस'. 2 PS पुणु पणवेप्पिणु. 3 P S तुम्हारउं. 4 PS सइ. 5 PS सवित्थय. 6 P S A दिण्णु. 7 PS सघोस. 8 A °पहाणउं. 9A राणउं. 10 A णिहालिउं. 11 PS A °समाणउं. 12 SA माणउं. 13 PSA कहि. 14 s A समाउ.
8. 1 PS A राणउं. 2 A परिलिय'. 3 PS A °दाणउं. 4 P जोम्वइ corrected to जोयइ, 8 जोई, A जोपइ. 5 The portion from °इ देइ up to पट्टणे णव in line 6 is missing in A. 6 P एउं. 7 PS जिणालउं. 8 PS A वंदिवि. ५. करेइ. 10 A अप्पाणउं. १२ खभाषया. [७] १ निष्पन्दनेत्रेण यक्षेण. २ समिधीनां (?) काष्ठभारः. ३ चन्द्रवदनी एक्षिणी. [८] १ 'तर्कुक' याचकाः. २ पूर्वदिशा..
nam
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org