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________________ -०९,11,111,1] एगुणवीसमो संधि किर गम्भु भणेवि पैर-णरवरहों केउमइऍ घल्लिय कुलहरहौं' ।। ५ तं सुणेवि समीरणु णीसरिउ अणुसरिसेंहिँ वयसेंहिँ परियरिउ ।। गई तेत्थु जेत्थु तं सासुरउ किर दरिसावेसइ सा सुरउ ॥ ७ पिय इट्ठ ण दिट्ठ णवर तहि मि असहन्तु पहाणु गउ कहि मि ॥ परियत्तिय पहसियाइ-सयण दुक्खाउर ओहुल्लिय-वयण ॥९ ॥ धत्ता॥ 'एम भणेज्जहु केउमइ पूरन्तु मणोरह माएँ तउ । विरह-दवाणल-दीवियउ पवणञ्जय-पायवु खयहाँ गउ' ॥ १. [१३] दुक्खु दुक्खु परियत्तिय सयल वि संजणा । गय रुयन्त णिय-णिलयहाँ उम्मण-दुम्मणा ॥१ पवणाओ वि पडिवक्ख-खउ काणणु पइसरइ विसाय-रउ ॥२ पुच्छइ 'अहाँ सरवर दिट्ठ धण रत्तुप्पल-दल-कोमल-चलण ॥ ३ अहाँ रायहंस हंसाहिवइ कहें कहि मि दिट्ठ जइ हंस-गइ ॥४ अाँ दीहर-णहर मयाहिवइ कहें कहि मि णियम्विणि दिट्ठ जइ ॥५॥ अहाँ कुम्भि कुम्भ-सारिच्छ-थण केत्तहे वि दिट्ठ सइ सुद्ध-मण ॥ ६ . अहाँ अहाँ असोय पल्लविय-पाणि कहिँ गय परहुऍ 'परहूंय-वाणि ॥ ७ अ) रुन्द चन्द चन्दाणणिय मिग कहि मि दिट्ट मिग-लोयणिय ॥ अहाँ सिहि कलाव-सण्णिह-चिहुर ण णिहालिय कहि मि विरह-विहुर' ॥६ ॥ घत्ता ॥ एम भवन्तें विउले वणे णगोह-महादुमु दिदु किह । सासय-पुर-परमेसरेण णिक्खवणे पयागु जिणेण जिह ॥ १० [१४] तं णिएवि वड-पायवु अण्णु वि सरवरु । कालमेहु णामेण खमाविउ गयवरु ॥१ 4 घल्लिउ. 5 P परिगरिउ. 6 This and the following line are missing in i. 78 एहसिय आइ. 8 A पायउ. 13. 1 PA सज्जण. 2 A रुयंति. 3 A °णिलयहुं. 4 P A °दुम्मण. 58 परहूय, . पहुय. 6 A परहुय', 5 रहूय.7 A विउल. 8 Ps 'पुरवर. 14. 1SA पायउ. 2 A मि. २ मित्रैः. ३ अञ्जनी. ४ कामभोयं( गं). ५ व्याधुटितः. ६ वृक्षः. [१३] १ कोकिलाखराः (१). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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