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क.,१०९,१-१००,"
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॥घत्ता ॥ ताहिँ गयणहाँ ओअरेंवि अञ्जणहें वसन्तमाल मिलिय । 'इहुं अट्ठावउ होन्तु ण वि ता वट्टइ(?)आसि माएँ गिलिय' ॥ १०
एम वोल्ल किर विहि मि परोप्परु जाहिं ।
'गीउ गेडे गन्धवे मणहरु ताहि ॥ १ तंणिसुर्णेवि परिओसिय णिय-मणे(?) 'पच्छण्णु को वि सुहि वसइ वणे ॥२ असमाहि-मरणु जें णासियउ अण्णु वि गन्धव पयासियउ॥३ अवरोप्पर एम चवन्तियहुँ पलियङ्क-गुहहिँ अच्छन्तियहुँ ॥ ४ ॥ माहवमासहाँ वहुलट्ठमिएँ रयणिहें पच्छिम-पहरद्धे थिएँ ॥५ णक्खत्ते सवणे उप्पण्णु सुउ हल-कमल-कुलिस-झस-कमल-जुउ ॥ ६ . चक्कङ्कस-कुम्म-सङ्घ-सहिउ - सुह-लक्खणु अवलक्खण-रहिउ ॥७ ताणन्तर पर-वल-णिम्मण पंडिसुरें सूर-सम-प्पहेण ॥८ णहें जन्तें वे वि णियच्छियउ ओअरेवि विमाणहाँ पुच्छियउ ॥ ९ ॥
॥त्ता॥ 'कहिँ जायउ कहिँ वद्धिंयउ कहाँ धीयउ कहाँ कुलउत्तियउ। कसु केरउ एवंड्ड दुहु वणे अच्छहों जेण रुअन्तियां' ॥१.
[१०] पुणु वसन्तमालाएँ पडुत्तर दिजइ ।
णिरवसेसु तहाँ णिय-वित्तन्तु कहिजइ ॥१ 'अञ्जणसुन्दरि णामेण इम सइ सुद्ध मुद्ध जिह जिण-पडिम ॥२. मणवेय-महाएविहे तणय जइ मुणहों महिन्दु तेण जणियं ॥ ३ पायड पसण्णकित्तिहे भइणि मणहर पवणञ्जयाहाँ घरिणि' ॥४ विज्जाहरु तं णिसुणवि वयणु पभणइ वाहम्भ-भरिय-णयणु ॥ ५ ॥ 'हउँ माऍ महिन्दहों मेहुणउ सु-पसण्णकित्ति महु भार्यणउ ॥ ६ तर्ड होमि सहोयरु माउलउ पडिसूरु हणूरुह-राउलउ' ॥ ७ 7 Ps जइ यहो.
9. 1 PS गीउ. 2 P वहुलट्ठमीभ, s धवलट्ठमिया, A वहुलट्ठमिएं. 3 Ps थिय. 4 PS बडियउ. 5 P missing. 6 P S एवंडु. ___10. 1 इमा. 2 PS तणिय, A तणिया. 3 A मुणहुं. 4 A जणिया. 5 PS भायणउं. 68तं.
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[९]१ जिनोकं गीतं गाइतम्. २ चैत्रे. ३ कृष्णाष्टमी. ४ करकमलयुग्मम्. ५ विद्याधरेण. [१०] १ दीपस्य नामेदम्, २ राजा.
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