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________________ पउमचरिड [क०३,1-10 कूर-वीरें परिअत्तएँ रवि अत्यन्तओ। ___ अञ्जणाएँ केरउ दुक्खु व असहन्तओ ॥१ भीसण-रयणिहिँ भीसण अंडइ खाइ व गिलइ व उवरि व पडइ ॥३ । भिभियइ व भिङ्गारी-रहिँ रुवइ व सिव-सद्देहिँ रउरहिं ॥३ पुप्फुवइ व फणि-फुक्कारऍहिँ वुक्का व पैमय-वुक्कारऍहिँ ॥४ सा दुक्खु दुक्खु परियलिय णिसि दिणयरेंण पसाहिय पुव-दिसि ॥ ५ गइयउ णिय-णयरु पराइयउ अग्गएँ पडिहारु पधाइयउ॥ ६ ___ 'परमेसर आइय मिग-णयण अञ्जणसुन्दरि सुन्दर-वयण' ॥७ ॥ तं सुर्णेवि जाय दिहि णरवरहों 'लहुं पट्टणे हट्ट-सोह करहों ॥८ उब्भों मणि-कश्चण-तोरण वर-वेसउ लेन्तु पसाहणइँ ॥९ ॥घत्ता॥ सब पसाहहाँ मत्त गय (जय-)मङ्गल-तूर आहणों पल्लाणहाँ पवर तुरङ्ग-थड । सवडम्मुह जन्तु असेस भर्ड' ॥१० भणेवि एम पडिपुच्छिउ पुणु वद्धावओ। 'कइ तुरङ्ग कइ रहवर को वोलावओं ॥१ पडिहारु पवोल्लिउ अतुल-वलु 'णउ को वि सहाउ ण किं पि वलु ॥३ अञ्जण वसन्तमालाएँ सहुँ आइय पर एत्तिउ कहिउ महु ॥३ 20 एक्कएँ अंसुअ-जल-सित्त-थण दीसइ गुरुहार विसण्ण-मण' ॥४ तं णिसुणेवि थिउ हेट्ठामुहउणं णरवइ सिरे वजेण हउ ॥५ 'दुस्सील दुट्ट में पइसरउ विण खेवें णयरहों णीसर॥६ पभणइ आणन्दु मन्ति सुचवि 'अपरिक्खिउ किजइ कजण वि ॥७ सासुअउ होन्ति विरुआरियउ महसइहें वि अवगुण-गारियंउ ॥८ ॥ घत्ता॥ सुकइ-कहाँ जिह खल-मइउ हिम-बद्दलियउ कर्मलिणिहिँ जिह । 'होन्ति सहावें वइरिणिउ णिय-सुण्हहँ खेल-सासुअउ तिह ॥९ 3. 1 PSA अत्यंतउ. 2 Ps वि. 3 PS A असहंतउ. 4 P अडई corrected to अडइ, S अडई, A अडइ व. 5 P पडई corrected to पडइ, पडई, A पडइ वी. 6 PS विभियइ. 7 A वहु. 8 A पल्लाणहु. 9 P तूडई. . 4. 1 s missing. 2 PS रहधय. 3 P corrects to मेलावउ, बोलावलं. 49 सुवचि, A सुवि. 5A मि. 6 PS °कारियउ. 7 P कवकणिहुं, कवलाणिहु. 88 हुंलि. 9 PS °सुण्हहुं. 10 P A खलु. [३] १ भटन्या (१). २ मर्कट-पूत्कारौ (?). [१] , सुवचनमान, 1 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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