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के० १६,५-९, १७, १-10,१४, १-२] सत्तरहमो संधि विसाल-कुम्भमण्डला
णिवद्ध-दन्त-उजला ॥ ५ अथक-कण्ण-चामरा
णिवारियालि-गोयरा ॥६ समुद्ध-सुण्ड-भीसणा
विसट्ट-घण्टणीसणा ॥७ मणोज-गेज-पन्तिणो भमन्ति वे वि दन्तिणो ॥ ८
॥ धत्ता ॥ मयगलहिँ महन्तेंहिँ विहि मि भमन्तेंहिँ सुरवइ-लङ्काहि पर्वर ।। भव-भवणेहिँ छूढी णं महि मूढी भभइ स-सायर स-धरधर ॥९
[१७] तिजगविहूसणेण किउ सुर-करी णिरत्थो। परिओसिय णिसायरा ल्हसिउ वइरि-सत्थो ॥१
॥ रावणु णव-जुवाणु वलवन्तउ अमराहिउ गय-वेस-महन्तउ ॥२ भवि ण सकिउ करिवरूँ खञ्चिउ रक्खें सयवारउ परियश्चिउ ॥३ गउ गएण पहु पहुणोठ्ठद्धां झम्प देवि 'अंसुऍण णिवद्धउ ॥४ विजउ घुटु रयणीयर-साहणे देवेंहिँ दुन्दुहि दिणं दिवङ्गणे ॥५ ताव जयन्तु दसाणण-जाएं आणिउ वन्धेवि वाहु-सहाएं ॥६ जमु सुग्गीवें दूसम-सीलें अणलु णलेण अणिलु रण णीलें ॥७ खर-दूसणेहिँ चित्त-चित्तङ्गय । रवि ससि लेवि आय अङ्गङ्गाय ॥ ८ सुरवर-गुरु मएण णिन्भिच्चे लइउ कुवेरु समरें मारिच्चें ॥ ९
॥ छत्ता॥ जो जसु उत्थरियउ सो तें धरियउ गेण्हेंवि पवर-वन्दि-सयइँ। गउ सुरवर-डामरु पुरु अजरामरु जिणु जिह जिणेवि महाभयइँ॥१०
[१८] लङ्क पुरन्दरे णिए जय-सिरी-णिवासो।
सहसारेण पत्थिओ पत्थिवो दसासो ॥१ 'अों जम-धणय-सक्क-कम्पावण देहि सुपुत्त-भिक्ख महु रावण' ॥२ 4 Ps °सोड. 5 A दोवि. G A नयर. 7 Ps °भवणे व. 8 A छुढी. • 17. 1 A विहसणेणं. 2 A गइवेय. 3 A गयचरु. 4 A °णोड. 5 PS A दुंदुहिं. 6PS दिण्णु, A दिन. 7 PS णहंगणे.
18. 1 A forait. 2 P S ORTAO. 3 P s uerat, a missing. [१६] १°शब्दौ. [१७] १ वृद्धः. २ वरत्रेण, ३ अग्निः. ४ वायुः. [१८] १ प्रार्थितः. २ राजा.
पउ० चरि० 19
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