________________
ઇર
पउमचरिउ
[११]
जाउ महन्तु आहवो 'विहिँ विहिं जणाहुं । इन्दइ- इन्दतणयहुं इन्द - रावणाहुं ॥ १
रयणासव - सहसार-जणेरहुँ ' जम-सुग्गीव हुँ दूसम-सीलहुँ ससि - अङ्गयहुँ दिवायर - अङ्गहुँ सुअ-हुँ वीसावसु-हत्थ हुँ कुम्भयपण-ईसाणणरिन्दहुँ घणवाहण तडिकेस कुमारहुँ " जम्बुमालि -जीमुत्तणिणाय हुँ वाणरधय- पञ्चाणणचिन्धहुँ
10
करि-कुम्भ - विकत्तणु सोतासु समच्छरु
मय- भेसई - मारिच्चं कुवेरहुँ ॥ २ 'अणल-लहुँ पलयाणिल-णीलहुँ ॥ ३ खेर - चित्तहुँ दूसण- चित्तङ्गहुँ ॥ ४ सारण - हरि-हरिकेसि - पहत्थहुँ ॥ ५ विहि-केसरिहिँ विहीसण - खन्दहुँ ॥ ६ मलवन्त कणयहुँ दुबारहुँ ॥ ७ वज्जोयर- वज्जाउहरायहुँ ॥ ८ एम जुज्झु अब्भिड पसिद्धहुँ ॥ ९
॥ घत्ता ॥
गञ्जोलिय-तणु जो रणें जासु समावडिउ । तोसिय- अच्छरु 'गिरिहॅ दवर्गिव अभिडिउ ॥ १०
[१२] को विकिवाण - पाणिए सुरबहू णिएवि ।
ण मुअइ मण्डलग्गु
को विणीसरन्तन्त- चुब्भलो को विकुम्भि कुम्भयल-दारणो 20 को वि दन्त- मुसलुक्खयाउहो को वि खुडिय-सीसो धणुद्धरो को विवाण - विणिभिण्ण-वच्छओ सोणियारुणो सहर णरवरो को वि एक्क-चलणे तुरङ्गमे को वि सिरंउडे करेंवि करयले
25
Jain Education International
[क० ११, ११०, १२, १-९
पहरं समल्लिएवि ॥ १
11. 1s भेसह 24 ° मारीच A वसृहुं. 5 A करिकेसि 6s गिरिहिं. 7A देव..
भइ मत्त हत्थ व स- सङ्घलो ॥ २ मोत्तिओह-उज्जलिय-पहरणो ॥ ३ धाइ मत्त मायङ्ग समुहो । ४ aos धाइ विन्धइ स-मच्छरो ॥ ५ वाहिरन्तरुच्चरिय-पिच्छेओ ।। ६ रत्त -कमल- पुञ्ज व - भमरो ॥ ७ 'हैरिव वित्थिओ ण भरिए कमे ॥ ८ जुज्झ भिक्ख मग्गेइ पर-वले ॥ ९
3P खरदूषणचित्तहु चित्तंगहु. 4 Ps चमूह, 4
12. 1 Ps मंडलग्ग. 2 A समणिवि. 3 A चुभलो. 4 PSA मुसलक्खया° 5Ps पिच्छड, A °पिच्छओ. 6 Ps महुअरो 7A ° चलणो तुरंगमो. 8 A करि. 9s सिरभिउडि
[११] १ द्वो द्वो सुभटानां संग्रामो जातः २ अग्नेः ३ पवनः १२] १ विष्णु-इब, यथा पादे स्थितः बलि-दान- प्रस्तावे . २ मस्तकपुटे.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org