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________________ क० ९,२-१०; १०, १-१०] सत्तरहमो संधि वेढिउ एक्कु अणन्तेंहिँ रावणि तो वि ण गणइ सुहड-चूडामणि ॥२ रोकड वलइ धाइ अभिट्टइ रिउ पण्णास-सट्टि दलवर्दैइ ॥३ सन्दण सन्दणेण संचूरइ गयवर गयवरेण मुसुमूरइ ॥४ तुरउ तुरङ्गमेण विणिवायइ णरवर फरवर-घाएं घायइ ॥५ जाम वियम्भइ सवायामें ताव सु-सारहि सम्मइ-णामें ॥ ६ ॥ पभणइ 'रावण किं णिञ्चिन्तउ मेल्लवन्त-णन्दणु अत्थन्तउ ॥७ अण्णु वि रावणि लइउ अखत्तें वेढिउ सुरवर-वलेण समत्तें ॥८ दुजउ जइ वि महाहवें सक्का एकु अणेय जिणेंवि किंस कई॥९ ॥ घत्ता ॥ ते वयणें रावणु जण-जूरावणु चडिउ महारहें खग्ग-कर। लक्खिजइ देवेंहिँ वहु-अवलेवेहिँ णाई कियन्तु जगन्तयरु ॥ १० [१०] दूरत्थेण 'णिसियरिन्देण सुरवरिन्दो। सीहेणं विरुद्धेणं 'जोइओ गइन्दो ॥१ 'सारहि वाहि वाहि रहु तेत्तहें आयवत्तु आपण्डुरु जेत्तहें ॥२ ॥ जेत्तहें अइरावणु गलगजइ जेत्तहें भीसण दुन्दुहि वज्जइ ॥३ जेत्तहें सुरवइ सुर-परियरियउ जेत्तहें वज्ज-दण्डु करें धरियउ॥४ तं णिसुर्णेवि सम्मइ उच्छाहिउ पूरिउ सङ्गु महारहु वाहिउ ॥५ किउ कलयलु दिण्णइँ रण-तूरइँ हसियइँ सणि-जम-मुहई व कूरइँ ॥ ६ . . समरूं घुट्ट वलइ मि अभिट्टइँ रण-रसियइँ सण्णाह-विसट्टइँ ॥ ७ ॥ पवर-तुरङ्गम पवर-तुरङ्गहुँ भिडिय मयङ्ग मत्त-मायङ्गहुँ ॥८ रह रहवरहुँ परोप्परु धाइय | पायालहुँ पायाल पराइय ॥ ९ ॥ घत्ता ॥ मेल्लिय-हुङ्कार' दिण्ण-पहार सिर-कर-णास णमन्ताई। भिडियइँ अ-णिविण्णइँ वेण्णि मि सेण्ण मिहुण जेम अणुरत्ताइँ ॥ १० ॥ 4 A आवट्टइ. 5 P S णरवरेण संघायइ. 6 PS मल्लवंतु. 7 P°चलण. 8 P संमत्ते, A सम्मत्ते. 9 P S णाइ, A नाइ. 10 P जगंतु corrected to जगत, s जगंतु, A जगत्त. 10. 1 तेण णिसियरिदेण. 2 PSA सीहेण. 3 P s विरुद्धण. 4 A जोइअ णं. 51 भावंडुरु. 6 5 समरुहु, A समरधुहु. 7 In all the cases Ps have °हु and A °हं. 8 P माइंदहु, मायंदहु. 9 Aणासु. 10 s जिम, A जिहं. [९] १ इन्द्रजति. २ सिरिमाली मृतः, ३ इन्द्रयतिः. ४ इन्द्रपक्षजनैः. ५ गर्वैः. [१०] १ मन्त्री. Praram Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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