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________________ २० २,४-१०, ३, १-१०] सत्तरहमो संधि १३७ पुणु पच्छले सोणिय-जल-धारउ रय-पसमणउ हुआस-णिवारंउ ॥४ 'ताहिँ असेसु दिसामुहु सित्तउ थिउ णहु णाइँ कुसुम्भऍ घिउ ॥ ५ अण्णउ परियत्तउ गयणगों णं घुसिणोलिउँ णह-सिरि-अङ्गहाँ ॥ ६ जाय वसुन्धरि रुहिरायम्बिरि संरहस-सुहड-कवन्ध-पणच्चिरि ॥७ करि-सिर-मुत्ताहलेंहिँ विमीसिय सञ्झ व ताराइण्ण पदीसिय ॥ ८ रह खुप्पन्ति वहन्ति ण चक्कइँ वाहण-जाण-विमाण थकई॥९ ॥ घत्ता ॥ तेहऍ वि महारणे मेइणि-कारणे रत्ते तरन्ते तरन्ति गर । जुन्झन्ति स-मच्छर तोसिय-अच्छर णाइँ महण्णवें वारियर ॥१० तो गज्जन्त-मत्त-मायग-वाहणेणं । अमरिस-कुद्धएक गिवाण-साहणेणं ॥ १ जाउहाण-साहणु पडिपेल्लिउ णं खय-सायरेण जगु रेल्लिउ ॥२ णिसियर परिभमन्ति पहरण-भुअ णं आवत्त-छुद्ध जल-बुबुव ॥ ३ पेक्खेंवि णिय-वलु ओहट्टन्तउ 'सुरवगला-मुहें आवट्टन्तउ ॥४ पेक्खेंवि उत्थल्लन्तइँ छत्तइँ मत्त-गयहुँ भिजन्तइँ गत्तइँ ॥ ५ पेक्खेंवि फुट्टन्तइँ रह-वीढइँ जाण-विमाणइँ भैमरुवगीढइँ ॥ ६ पेक्खेंवि हयवर पाडिजन्ता सुहड-मडप्फर साडिजन्ता ॥७ आयामेप्पिणु रह-गय-वाहणे भिडिउ पसण्णकित्ति सुर-साहणें ॥८ वाणर-चिन्धु महागय-सन्दणु चाव-विहत्थु महिन्दहों णन्दणु ॥९ ॥ ॥ घत्ता ॥ णर-हय-गय तजेंवि रह-धय भोंवि वूहहों मझें पइट्ट किह । वमेंहिँ विन्धन्तउ जीविउ लिन्तउ कामिणि-हियउ वियह जिह ॥ १० 20 4 s A जलशोणिय'. 5 P °विवारउ, s °विचारउ, A निवारउ. GA दिसाबहु. 7 A रत्तउ, 8 A घुसिणुल्लउ. 9 P S सरहसु सुहड कवंधु. 10 P पणच्चिवि. 11 A °मुत्ताहलवामीसिय, 12 A तारावन्न पदसिय. 13 A गुप्पंति. 14 P णइ, A नहं न वि. 3. 1 PS A °कुद्धेण. 2 P S उणलंवइ. 3 A छिजंतई. 4 P सारिजन्ता. 5 PS सुए. [२] १ रुधिरधाराभिः. २ जलचराः. [३] १ सेनामुखे. २ चित्तभ्रमरगृहीतानि. ३ प्रगुणीभूय, सामर्थ्य कृत्वा वा. पउ० चरि० 18 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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