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________________ १२० अवरेकेण वृत्तु 'मइँ जन्तेइँ अइ सुन्दर सुकिय-कम्माइँ व णिग्गलाइँ सु-किविण - हिययाइँ व संचारिमइँ कु- पुरिस-धणाइँ व पेइरिक्कहूँ सज्जण-चित्ताइँ व दुल्लङ्घणियइँ सुकलत्ताइँ व वारि वमन्ति ताइँ सिरि-णासहिँ तेहि एउ जल भवि मुक्कउ तं णिसुणेपिणु सहइ समुज्जलु दाण-मयन्धेण जग कम्पावणु ww जल की लाऍ सयम्भू भदं ( इं ) च मच्छवेहे ॥ घत्ता ॥ 'लेहु' भणेपिणु ससि कर णिम्मलु पउमचरिउ [१३] दिड्इँ णिम्मले सलिलें तरन्तई ॥ १ सुघडियाइँ अहिणव-पेम्माइँ व ॥ २ 'णिउण- समासिय सुकइ-पयाइँ व ॥ ३ का रिमाइँ कुट्टणि वयणाइँ व ॥ ४ बद्धइँ अत्थइत्तं वित्ताइँ व ॥ ५ - विणइँ वुढाइँ व ॥ ६ उरं-कर-चरण-कण्ण- यणासेहिं ॥ ७ तेण पुज्ज रेलन्तु पढुक्कउ ॥ ८ आसु दिणु 'णिय किङ्कर हुँ " मारिच्च मयहुँ सुय-सारणहुँ - हत्थ - पत्थ-विही सणहँ ससिकर- सुग्गीव - णील-गल हुँ Jain Education International * चरमुह एवं च गोग्गह- कहाऍ । अज्ज विकइणो ण पावन्ति ॥ * [ १५. पण्णरहमो संधि ] गय-गन्धैण रणें रावणु [ क० १३, १-९, ११-५ * असिवरु सँ इँ भुवे पकडिडें । णं" पत्त- दार्णे-फलु बहिडें ॥ ९ जेम मइन्दु विउ । सहस किरणें अभि ॥ १ ॥ [१] वज्जोयर - मयर - महोयर हुँ ॥ १ इन्दर कुमार - घणवाहणहुँ ॥ २ विहि-कुम्भयपण खर दूसणहुँ ॥ ३ अवरहु मि अणि भुवलहुँ ॥ ४ 13. 1Ps जंत, 4 जंतर. 2 P s णिम्मल' 3 Ps रवंतइ. 4 P अच्छइत्ति, 8 अत्थइत्ति. 5 Ps ताहि. 6 Ps उरु° 7 P A करण, S missing. 8Ps लोहंतु. 9Ps सयं. 10s भुचे, A भुण. 11 P एक्कड्डियउं, s कड्डियउ, A पकड्डियउ 12Ps °किरणुज्जलु. 13 A जं. 14 Ps दाणु 15 Ps वड्डियउ. 1. 1s 'वयंण 2Ps वियङ्घउ, A विग्रहउं 3PS सहस किरणहो. 4 P अभिउ, 5 Ps रणे. [१३] १ काष्ठानां परस्परकला शिका, अन्यत्र शिष्टपदन्यासः २ प्रगुणानि. ३ लोचनमुखैः. [१] १ अश्ववाहनस्य (?) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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