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________________ १०२ के० ५, ७-१०, ६, १-१०,७,१] तेरहमो संधि उच्छलिउ कहि मि जलु धवल-धार णं तुडेवि गउ गिरिवरही हारु ॥७ कत्थइ उट्ठियइँ वलाय-सयइँ णं तुडेवि गिरि-अट्ठियइँ गयह ॥ ८ कत्था उच्छलियइँ विहुमाइँ ण रुहिर-फुलिङ्गइँ अहिणवाइँ ॥९ ॥घत्ता॥ अण्णु विजो अण्णहों हत्थेण णिय-थाहों मेल्लावियउ। णिञ्चलु ववसाय-विहूणउ कवणु ण आवइ पावियउ ॥१० [६] ॥ दुवई ॥ ताम फडा-कडप्प-विप्फुरिय-परिप्फुर्ड-मणि-णिहायहो । आसण-कम्पु जाउ पायालयले धरणिन्द-रायहो ॥१ अहि अवहि पउजेवि आउ तेत्थु रावणु केलासुद्धरणु जेत्थु ॥२ जहिँ मणि-सिलायलुप्पीलु फुट्ट गिरि-डिम्भहों' णं कडिसरउ तुट्ट ॥ ३ जहिं वणयर-धट्ट-मर? भग्गु जहिँ वालि महारिसि सोवसग्गु ॥४ जल्ल-मल-पसाहिय-सयल-गत्तु विजा-जोगेसर रिद्धि-पत्तु ॥ ५ तिण-कणयकोडि-सामण्ण-भाउ सुहि-सत्तु-एक-कारण-सहाउ ॥ ६ सो जइवरु कुञ्चिय-कर-कमेण परिअश्चिउ जमिउ भुअङ्गमेण ॥७ महियल-गय-सीसावलि विहाई किय अहिणव-कमलच्चणिय णाई॥ रेहइ फणालि मणि-विप्फुरन्ति णं वोहिय पुरउ पईव-पन्ति ॥ ९ ॥ पत्ता ॥ पणवन्तें देससयलोयणेण हेटामुहुँ कइलासु णिउ । सोणिउँ दह-मुहेंहिँ वहन्तउँ दहमुहु कुम्मागारु किउ ॥ १० ॥ ॥ दुवई ॥ जं अहिपवर-राय-गुरुभारकन्त-धरेण पेल्लिओ। दस-दिसिवह-भरन्तु दहवयणे घोराराउ 'मेलिओ ॥१ 10 PS जल. 11 PS A तुझिवि. 12s पुडिंगई. 13 PS अण्ण सहाथेण, अण्णहो सहत्थेण. 14 Aठाणहो. 6. 1 P फड्डा. 2 PS परि फुड. 3 P पायालए ता, S पायालहो ता. 4 A रावण केलास. 5 PSA जहि. 6 8 सिलायले पीढु. 7 PS डिंभु कडय. 8 PS °मरद्द. 9 P°पहासिय. 108 जुत्त. 11 P एक्क, S एकु. 125 करेण. 13 A परिअंचेवि णविउ. 14 s बिहाइं. 15 P°विप्फुरंतु. 16 P पइव०. 17 s हेट्ठामुह, A हेहामुहूं. 18 A सोणिउं. 19 A मुयंतउ. 20 A. कुम्मायाक. 7. 1. PS A मेलिउ. [६] १ धरणेद्रेण. [७] १ धरणेन्द्रः . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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