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पउमचरित
[९] जो कित्तिधवले-सिरिकण्ठ-किउ किक्किन्ध-सुकेसहिँ विद्धि णिउ ॥ १ तं खयहो णेहु मा णेह-तरु जइ धरेंवि ण सक्कों रोस-भरु ॥२ तो वे वि परोप्परु उत्थरहों जो को वि जिणई जयकारु तहों' ॥३ तं णिसुणेवि वालि-देउ चवइ 'सुन्दर भणन्ति लङ्काहिवइ ॥ ४ खउ तुज्झु व मज्झु र्व णिबडउँ जिम धुंव जिम मन्दोवरि रडउँ ॥५ किं वहहिँ जीहिँ घाइऍहिँ वन्धव-सयणहिँ विणिवाइऍहिँ ॥ ६ लइ पहरु पहरु जइ अस्थि छलु पेक्खहुँ तुह विजहुँ तणउ वलु' ॥७ तं णिसुणेवि समर-सएहिँ थिरु वावरेंवि लग्गु वीसद्ध-सिरु ॥८ " आमेल्लिय विज महोयरिय (१) फणि-फैण-फुक्कार दिन्ति गइय ॥ ९
॥ पत्ता ॥ वालिं भीसणिय अहि-णासणिय गारुड-विज विसजिय । उत्त-पडुत्तियएँ कुल-उत्तियएँ णं पुण्णालि परजिय ॥ १०
[१०] दहवयणे गरुड-परायणिय पम्मुक्त विज णारायणिय ॥१ गय-सङ्ख-चक्क-सारङ्ग-धरि चउ-भुअ गरुडासण-गमण-करि ॥२ सूररय-सुएण वि संभरिय ___णामेण विज माहेसरिय ॥ ३ । कङ्काल-कराल तिसूल-करि ससि-गउरि-गण-खट्टङ्ग-धरि ॥ ४ किर अवर विसज्जइ दहवयणु सय-वारउ परिअञ्चेवि रणु ॥ ५ ॥ स-विमाणु स-खग्गु महावलेंण उच्चाइउ दाहिण-करयलेण ॥ ६ ‘णं कुञ्जर-करें] कवल पवरुणं वाहुवलीसें चकहरु ॥ ७ णहें दुन्दुहि ताडिय सुरयणेण किउ कलयलु कइधय-साहणेण ॥ ८
॥ धत्ता ॥ माणु मलेवि तहाँ लङ्काहिवहाँ वधु पट्ट सुग्गीवहाँ ।
'करि जयकार तुहुँ अणुभुजे सुहुँ भिच्चु होहि दहगीवहाँ ॥९ 19: 1. 5 कित्तिधवलु. 2 PS णेहु . 3 P धरवि, s धरणि. 4 PA जिणइं. 5 s भणेइ. 6 Ps वि.7A णिव्वडइ. 8 A रखइ. 9 P पेक्ख corrected to पेक्खउ, s पेक्खहु. 10 विजहे, A विजहु. 11 Ps फणफणि. 12 PS °पउत्तियए. -- 10. 1 P S दहगीयें. 2 P पमुक्क. 3 P5 °गमणु. 4 9 विजु. 51'S °करी, A°धरि. 6 is गोरि. 7 करे. 8 PS सुखग्गु. 9 °वरेण. 10 A कमलु, 11 I'S सुरवरेण. 12 PS कइद्धयं. 13 s सहुं.. [९] १ ध्रुवा, वालि-स्त्री. २ सर्पिणी विद्या.. ..
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