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क०७, १-९,८,१-९]
वारहमो संधि
१०३
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सो दूउ कडुय-वयणासि-हडे सामरिसु दसासहों पासु गउ ॥१ 'किं वहुएं एत्तिउ कहिउ मइँ तिण-समउ वि ण गणइ वालि पइँ ॥२ तं वयणु सुणेप्पिणु दससिरेण वुच्चइ रयणायर-रव-गिरेण ॥३ 'जइ रण-मुहें माणु ण मलमि तहों तो छित्त पाय रयणासवहों' ॥४
आरुहेवि पइज पयट्ट पहु णं कहों वि विरुद्धउ कूर-गहु ॥५ थिउ पुप्फविमाणे मणोहरऍ णं सिद्धु सिवालऍ सुन्दरऍ॥ ६ करें णिम्मलुं चन्दहासु धरिउ ण घण-णिसण्णु तडि-विप्फुरिउ ॥७ णीसरिएं पुर-परमेसरण णीसरिय वीर णिमिसन्तरेण ॥८
॥ धत्ता ॥ 'अम्हहुँ पय-भरेंण णिरु णिहरण में मरउ धरणि वराइय' । एत्तिय-कारणेण गयणगणेण णावइ सुहड पराइयं ॥ ९
[८] एत्तहे वि समर-दुजोहणिहिँ चउदहहिँ णरिन्द-अखोहणिहिँ ॥ १ सण्णहेवि वालि णीसरिउ किह मजाय-विवजिउ जलहि जिह ॥ २ ॥ पणवेप्पिणु विणि वि अतुल-चल "थियं अग्गिम-खन्धेहिं णील-णल ॥ ३ विरइउ आरायणु रणे अचलु पहिलउ जे णिविडं पायाल-वलु ॥४ पुणु पच्छऍ हिलिहिलन्त स-भय खर-खुरेंहिँ खणन्त खोणि तुरयं ॥५ पुणु सइल-सिहर-सण्णिह सैयर्ड पुणु भय-विहलचल हत्थि-हड ॥ ६ पुणु णरवइ वर-करवाल-धर आसण्ण ढुक्क तो रैयणियर ॥ ७ . ॥ किर समरें भिडन्ति भिडन्ति णइ थिय अन्तरें मन्ति सु-विउल-मइ ॥ ८ .
॥ पत्ता ॥ 'वालि-दसाणणहों जुज्झण-मणहाँ एउ काइँ ण गवेसहाँ । किऍ" खऍ वन्धवहुँ पुणु केण सहुँ पच्छऍ रज्जु करेसहाँ ॥९
7. 1 P°हउं. 2 5 रणउहे. 3 पाप. 4 P°विमाणे. 5 s सुंदराई. 6 P णिम्मले. 7 SA जिविसं. 8 PS अम्हहु, A अम्हहं. 9 s wanting. 10 P पधाइय, S पधाइया..
8. 1 P°दुजोहणीहि, s °दुजोहणीहिं. 25 णरेंदें. 3 P°अखोहणीहिं, s खोहणीहिं. 4 This pāda is missing in A, 5 Ps थिभ. 6 P णिविड, S णिविडू. 74 पच्छलि. 8 PS खणंतु. 9A तुरिय. 10 8 सयल. 11 PS सिहरि. 12 8 सुहडा, A सुहड. 13 A ताम मन्ति सुचवि. 14 s किय, A किं. 15 P S A बंधवहु. 16 A करेसहुं.
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[८] युद्धरचना. ३ पादूक (१). ३ रथाः. ४ राक्षसाः
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