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PAUMACARIU
356 णड विसहर्ड तयउ दिवसु । 18 6 2. 356 अतिवाहयितुं नाहं प्रभवामि दिनत्रयम् ।
___- 15 125 357 जइ अजु ण लक्खिउ पियह बयणु, 357 VP. जइ तं महिन्दतणयं अज । तो कल्लएँ महु णित्तुलउ मरणु॥ 18 63. न पेच्छामि xxx तो विगयजी विओ
हं होहामि न एत्थ संदेहो॥ 1554. 358 तं णिसुणे व वुश्चइ पहसिएण,
358 एवमुक्तस्ततोऽवोचदाशु प्रहसितो हसन् । xxx वयणें पहसिएण। 18 6 4
15128. 359 थिय जाल-गवक्खऍ दिट्ट वाल । 18 67 359 वातायन स्थिती मुक्काजालतिरोधानावङ्गनां
तामपश्यताम् । ___15 139. 360 एत्थन्तरें xxx चवइ वसन्तमाल । 360 अत्रान्तरे xxx वसन्ततिलकाभिधा। 1871 अभाषत ॥
15 147. VP. एयन्तरम्मि सहिया वसन्ततिलयत्ति नामओ भण।
15 65. 361 सहलउ तउ माणुस-जम्मु माएँ 361 अहो परमधन्यत्वं सुरूपे भर्तृदारिके। भत्तारु पहअणु लद्ध जाएँ ॥ 1872 पित्रा वायुकुमाराय यद् दत्तासि। 15 148.
VP. धनासि तुमं बाले जा दिन्ना पवणवेगस्स ।
15 65. 362 सिरु विहुणेवि भणइ वि मीसकेस । 362 भिश्रकेशीति xxx अवदत् xxx धूतसोदामणिपहु पहु परिहरेवि,
धम्मिल्लपल्लवम् । विद्युत्प्रभं परित्यज्य वायोथिउ पवणु कवणु गुणु संभरेवि ॥
गुहासि यदू गुणान् ॥ 15 155. 1873-4 VP. विजुप्पभं पमोत्तुं पवर्णजयं
पसंससि xxx परममूढे। 15 68363 (a) अन्तरु गोपय-सायराहुँ 18 75 363 भेदो वायोर्विद्युत्प्रभस्य च xxx
(b) तं विजुप्पह-पवणञ्जयाहुँ। 18 7 8 गोष्पदस्याम्बुधेश्च यः। 15 160. 364 भाऍहिँ मालावेहि कुविउ णरु। 364 (a) इत्युक्ते क्रोधानलविदीपितः। थिउ xxx उक्खय-खग्ग-करु ॥
15 163. 'रिउ रक्खड विहि-मि लेमि सिरहै। (b) समाकर्षन् सायकः। 15 164.
18 79. (c) लुनाम्यतोऽनयोः xxx मूर्धानमुभयोरपि । विद्युत्प्रभोऽधुना रक्षां करोतु ॥
15 166. VP. सोऊण वयणमेयं पवणगई रोसपसरियामरिसो आयड्डइ असिवरं। 15 71. (b) सिराइ छिन्दामि दोह्न वि जणीणं
xxx करेउ विजुष्पहो इहई। 15 73. 365 करि-सिर-रयणुजलिय। 18 8 2. 365 मत्तेभकुम्भदारणकारिणः। 15 173
VP. गय कुम्भदा[]णसमत्थं। 15 75. 366 णिय-आवासहों। 1883. 366 वसतिमात्मनः ।
15 177. VP. निययावासं ।
1577. 367 गय रयणि तासु । 1884. 367 आगता क्षयं विभावरी । 15 185.
VP. रयणी वोलीणा। 1580.
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