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PAUMACARIU
ता xxx चन्दणहि हरिय खर-दूसहि ॥ VP. जावञ्चिय दहवयणो विवरोक्खो xxx
____12 3 2-3. तणुकच्चु कारणत्थं ताव खरदूसणेणं xxx हरिया
चन्दणही। 911-12. 245 जिह कण्ण तेघ पर-भायणिय। 245 कन्या नाम xx देया परस्मायेव निश्चयात्। 12 4 4.
932.
VP. अन्नस्स होइ xxx कना। 9 15. 246 चउदह सहास विजाहरहुँ। 12 4 5. 246 VP. विजाहराण xxx चोदस सहस्सा।
.. 9 16. 247 वणे णिवसन्तियहें xxx
247 असूत च सुतं xxx विपिनवासया। सुउ उप्पण्णु विराहिड। 12 4 9. xx विराधिताभिख्यां प्राप्तः । 9 42-44.
VP. सा दारयं पसूया नामेण विराहियकुमारं ।
921. 248 एत्थन्तरें जम-जूरावणेण xxx रावणेण ॥ 248 (a) यमस्य परिमर्दकः । पटविउ महामह दूड तहि
(b) दशास्येन ततो दूतः xxx वालि जहि ॥ 12 5 1-2. प्रेषितोऽसौ महामतिः। 951a.
VP. अह रावणेण तइया
वालि-नरिन्दस्स पेसिओ दूओ। 924. 249.xxx पुणु सूररउ,
249 यमारातिं समुद्रास्य xxx जमुभवि तहों पइसारु कर। 125 12.
अर्करजाः स्थापितः। 954. VP. रिक्खरयाइच्चरया xxx निय-रजे
ठविया मए xx जिणिऊण जमं।9 27. 250 भाउ xxx णमहि तुहुँ। 12 5 14a. 250 एहि प्रणामं मे कुरु। 956.
VP. (a) लहुं एहि। 926.
(6) कुणह पणाम। 928. 251 वलेंवि थिउ अण्णमणु। 12 6 1. 251 विमुखं ज्ञात्वा ।
958. 252 सीहविलम्बिऍण। . 126 6. 252 नाना व्याघ्रविलम्बीति । 964.
VP. वग्घविलम्बी।
931. 253 अरें वालि देउ किं पहुँ ण सुट xxx॥ 253 चतुःसमुद्रपर्यन्तं जम्बूद्वीपं क्षणेन यः। जो णिविसद्धेण पिहिवि कमइ,
त्रिः परीत्य xxx पुनरागमत् ॥ 9 6. चत्तारि वि सायर परिभमइ ॥ 12 68. VP. (a) रे दूय किं न-याणसि वालि। 9 32. (b) चउसागरपेरन्तं जम्बुद्दीवं पयाहिणं काउं।
93. 254 पणवेप्पिणु तिल्लोकाहिवइ,
254 अन्यं न प्रणमामीति जिनपादाब्जयुग्मतः। सामण्णहाँ अण्णहाँ णउ णवह 12 112.
984. VP. मोत्तण जिणवरिन्दं
न पडइ चलणेसु अन्नस्स। 929. 256 गुरु गयणचन्दु णामेण जहिं। 12 116. 255 गगनचन्द्रस्य गुरोः।
990. VP. मुणिगयणचन्दस्स।
बन्दस्स। 946. 256 अत्तावण-सिलहें। 12 11 9b. 256 VP. आयावन्तं सिलाव।। 961.
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