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PAUMACARIU
Colophon of the 100. Sandhi:
66. इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय सयम्भुएव-उव्वरिए । तिहुवण-सयम्भु -महाकइ समाणिए समवसरणं णाम सउमो सग्गो ॥
Colophon of the 102. Sandhi:
67. इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय सयम्भु-उव्वरिए । तिहुवण-सयम्भु - महकइ- समाणिए कण्ह - महिल-भवगहणमिणं ॥
68. तिहुवणो जइ विण होन्तु णन्दणो सिरि-सयम्भुवस्स । कव्वं कुलं कवित्तं तो पच्छा को समुद्धरई ।।
105. Sandhi, 16 (last) Kadavaka, Ghattā and Colophon : 69. इउ जाणिवि जिण-मउ मणि धरह", जिम जस कि त पवित्थरहो । संसारु महण्णवु अइ-विसमु, सइँभुएण हेलइ तरउ (हीँ ) ॥
70. इय रिट्ठणेमिचरिए सयम्भुएव - कए दारावइदाह - पव्वमिणं ।। संधि १०५ ॥ Ghattā and Colophon : पालिय- संजम फेडिय - दुम्मइ । हुन्ति सयम्भुवणाहिवइ ॥
72. इय रिट्ठणेमि चरिए-सयम्भु विरइए णारायणमरण-पव्वमिणं ।।
106. Sandhi, last Kadavaka,
71. ते धण्णा सउण्णा के वि णरा इह भवे किति पवित्थरिवि
ज
107. Sandhi, last Kadavaka, 2 line before the Ghatta.
73. जसुकिति अणुसरइ म कहि-मि ण धरइ ॥
107. Sandhi, last Kadavaka, Ghatta. 74. सइम्भुयएण विढत्तु धणु जिम विलसिज्जइ सन्त । तेम सुहासुह-कम्मडा भुञ्जिज्जहि भिन्त ॥
107. Sandhi, Colophon:
76. इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय सयम्भुएव उव्वरिए । तिहुवण- सयम्भु र समाणियं सोय-वलहद्दं ॥
108. Sandhi, last Kadavaka, Ghattā and colophon.
76. पिय- मायरिहि विराइय महि विक्खाइय भूसिय णिय जस कति जणि । जि - दिक्ख कारणे दुक्ख निवारणं देउ सयम्भुय धवि मणि । इय रिट्ठणेमिचरिए धवलइयासिय सयम्भुएव उव्वरिए । तिहुवण - सयम्भु रइए हलहर - दिक्खासमं कहियं ॥
28. जरकुमर-लम्भो पण्डवघरवास - मोहपरिचायं । सय-अट्ठाहिय-सन्धी समाणियं एत्थ वर कइणा ॥
109. Sandhi, Colophon.
79. इय रिट्ठणेमि पुराण संग धवलइयासिय कइ सयम्भुएव उव्वरिए । तिहुयण- सयम्भु - रइए समाणियं पण्डुसुयहो भवं । णवाहिय सयं संधी |
80. इह जसकित्ति - करणं पव्व समुद्धरण-राय-एक्कमणं । कइरायस्सुव्वरियं पयडत्थं अक्खियं जइणा ||
81. ते जीवन्ति य भुवणे सज्जण-गुण- गणहरा य भावत्था । पर-कव्व- कुलं वित्तं विडियं पि जे समुद्धरहिं ||
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