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________________ १२८ टीकाकृत् तत्वार्थ तत्वार्थवृत्ति तपस्विन् तान्त्रिक तार्किक ध्यानदीप नन्दिवृत्ति नव्य निर्युक्ति निश्चयद्वात्रिंशिका नैयायिकानुयायिन् नैयायिक मीमांसक न्यायनय ३. ज्ञानबिन्दुगतानां न्यायानां सूची । २०.१९;२०,२६;३४.६३५. १९४३ | मिश्र २५,४६.२१. मीमांसक ३६.३१. | मीमांसाभाष्यकार ११. २४. यशोविजय २४,१४;२४.२६;३२.१०. युगपदुपयोगवादिन् पञ्चसंग्रहमूलटी का परतीर्थिक पूज्य प्राचीन प्राचू बार्हस्पत्य भाष्य भाष्यकार भाष्यकृत् मधुसूदन मलयगिरि मल्लवादिन् महाभाष्यकार महाभाष्यकृत् महावादिन् महावादी सिद्धसेन माषतुष Jain Education International १३.८. लता ११.२१;२४.३. वाचकचक्रवर्तिन् २९.४. वाचस्पति मिश्र ९.४;३३.२७. वार्त्तिककार १६.१६;२५,२५. विवरणाचार्य अर्थेनैव धियां विशेष इति न्याय अर्धजरतीयन्याय गोबलीवर्दन्याय गोवृषन्याय ४०.१७. १८.२६. १५.१०. L ५.२७;१४.२३. २४.९. वैशेषिक १२.११. ५.६. ४२.१६. ४८. १९. २५.२४. वेदान्त वेदान्तिन् वेदान्तिमत २१.२६. सिद्धान्तबिन्दु १७.२२. सुगतदेशना ९.११;९.१५;१८. ८. सूत्र १०.१७. सैद्धान्तिक २४.८९२८.१६. सौगत ११.३. स्तुति ३३.२५,३८, १७:४८, १८. स्तुतिकार ३. १०७. ३. स्तुतिग्रन्थ शौद्धोदनीय श्रुति सन्मति सन्मतिवृत्ति सिद्धसेन (दिवाकर ) १२. ७१८.२६. ११.२९. स्मृति स्याद्वाद १७.६. स्याद्वादमुद्रा १२.८. | हरिभद्राचार्य ३. ज्ञानबिन्दुगतानां न्यायानां सूची । १६.२६,३२.४,४६.२४. धर्मेति न्याय १४.११. २४.५. २३.२८,२५.२,२७.८. ३०.१७३३.२० २३.२४. १६.३०:४२.१२. २२.१४. २५.६:२९.२७. १२.७,३०.२५;३३.८:४८, १६. २४.११. ३३.२६:४७, १४८.२०. २४.१४. २३.१८. २४.३०. १७.५. मनो यदसाधारणमिति न्याय १०.१. | सापेक्षमसमर्थमिति न्याय For Private & Personal Use Only १९.३०:२०.८. ४९.१६. ३३.२४. २३.२०. १६.१०. २.२३. १९.३२:२०.८. २.५. ११.२०:११.३३. २३.१८:२५.२४. ४७.७. | चक्षुष्मान् सर्वं पश्यति, न स्वन्ध इति न्याय ४१.५. १८.१८. ३९.९. २७.२६. ४६.३१. २९.३०. ३९.८. ४७.१८. ३. ११:२६.५. २०.२०. ३८.१२. www.jainelibrary.org
SR No.002518
Book TitleGyanbindu Prakarana
Original Sutra AuthorYashovijay Upadhyay
AuthorSukhlal Sanghavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1942
Total Pages244
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size13 MB
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