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आन्तर परिचय उपरोक्त बुद्धिनिधानोनो जवाब लीधानो क्यांय कशो य उल्लेख नथी। अने आटला मोटा वर्गने पूछवा जेटली संघनी गुंजायश कल्पवी पण मुश्केल छ । २ स्थविर आर्यकालक माटे पण कहेवामां आवे छे के तेमना शिष्यो तेमनी पासे भणता नहोता, ए माटे तेओ तेमने छोडीने पोते एकला चाली नीकळ्या हता। ३ आ उपरांत भाष्यकार भगवाने पण भाष्यमा पोताना जमानाना निम्रन्थोना ज्ञान माटे भयंकर अपमानसूचक " दरसिक्खि. याणं पिसायाणं " शब्दथी ज आखी परिस्थितिनुं दिग्दर्शन कराव्युं छे । ४ वल्लभीमां पुस्तकारूढ थयाने मात्र छ सका थया बाद थनार नवांगवृत्तिकार पूज्यश्री अभयदेवाचार्य महाराजने अंगसूत्रो उपर टीका करती वखते जैन आगमोनी नितान्त अने एकान्त अशुद्ध ज प्रतिओ मळी तेम ज पोताना आगमटीकाग्रंथोनुं संशोधन करवा माटे जैन आगमोनुं विशिष्ट पारम्पर्य धरावनार योग्य व्यक्ति मात्र चैत्यवासी श्रमणोमांथी भगवान् श्रीद्रोणाचार्य एक ज मळी आव्या । आ अने आवी बीजी अनेक ऐतिहासिक हकीकतो जैन निम्रन्थोनी विद्यारुचि माटे फरियाद करी जाय छे । आ परिस्थिति छतां जैन निर्मथसंघना सद्भाग्ये तेना नामने उज्ज्वल करनार अने सदीओनी मलिनता अने अंधकारने भूसी नाखनार, गमे तेटली नानी संख्यामा छतां दुनिआना कोई पण इतिहासमा न जडे तेवा समर्थ युगपुरुषो पण युग-युगांतरे प्रगट थता ज रया छे, जेमणे जैन निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीसंघ माटे सदीओनी खोट पूरी करी छे । जैननिर्मन्थनिम्रन्थीसंघ सदा माटे ओपतो-दीपतो रह्यो छे, ए आ युगपुरुषोनो ज प्रताप छ । परंतु आजे पुनः ए समय आवी लाग्यो छे के परिमित. संख्यामा रहेला जैन निम्रन्थनिर्ग्रन्थीओनुं संघसूत्र अहंता-ममता, असहनशीलता अने पोकळ धर्मने नामे चालती पारस्परिक ईर्ष्याने लीधे छिन्नभिन्न, अस्तव्यस्त अने पांगळु बनी गयुं छे । आपणे अंतरथी एवी शुभ कामना राखीए के पवित्रपावन जैन आगमोना अध्ययन आदिद्वारा तेमांनी पारमार्थिक तत्त्वचिन्तना आपणा सौनां महापापोने धोई नाखो अने पुनः प्रकाश प्राप्त थाओ । प्रकीर्णक हकीकतो
प्रस्तुत महाशास्त्र अमुक दृष्टिए जैन साम्प्रदायिक धर्मशास्त्र होवा छतां ए, एक एवी तात्त्विक जीवनदृष्टिने लक्षीने लखाएलुं छे के--गमे ते सम्प्रदायनी व्यक्तिने आ महाशाखमाथी प्रेरणा जाग्या विना नहि रहे । आ उपरांत बीजी अनेक बाह्य दृष्टिए पण आ ग्रंथ उपयोगी छे । ए उपयोगिताने दर्शावनार एवां तेर परिशिष्टो अमे आ विभागने अंते आप्यां छे, जेनो परिचय आ पछी आपवामां आवशे । आ परिशिष्टोना अवलोकनथी विविध विद्याकळानुं तलस्पर्शी अध्ययन करनारे समजी ज लेवू जोईए के प्रस्तुत ग्रंथमां ज
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