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________________ बृहत्कल्पसूत्रनी प्रस्तावना नहि, दरेक जैन आगममा अथवा समग्र जैन वाङ्मयमा आपणी प्राचीन संस्कृतिने लगती विपुल सामग्री भरी पडी छे । अमे अमारा तेर परिशिष्टोमा जे विस्तृत नोंधो अने उतारा आप्या छे ते करतां पण अनेकगुणी सामग्री जैन वाङ्मयमा भरी पडी छे, जेनो ख्याल प्रस्तुत ग्रंथना दरेके दरेक विभागमा आपेली विषयानुक्रमणिका जोवाथी आवी जशे । परिशिष्टोनो परिचय प्रस्तुत प्रन्थने अंते ग्रन्थना नवनीतरूप तेर परिशिष्टो आप्यां छे, जेनो परिचय आ नीचे आपवामां आवे छे १ प्रथम परिशिष्टमां मुद्रित कल्पशास्त्रना छ विभागो पैकी कया विभागमा क्याथी क्यां सुधीनां पानां छे, कयो अर्थाधिकार उद्देश आदि छे अने भाष्य कई गाथाथी क्या सुधीनी गाथाओ छे, ए आपवामां आवेल छे, जेथी विद्वान् मुनिवर्ग आदिने प्रस्तुत शास्त्रना अध्ययन, स्थानअन्वेषण आदिमां सुगमता अने अनुकूळता रहे । २ बीजा परिशिष्टमां कल्प ( प्रा. कप्पो) मूळशास्त्रनां सूत्रो पैकी जे सूत्रोने नियुक्ति, भाष्य, चूर्णी, विशेषचूर्णी के टीकामां जे जे नामथी ओळखाव्यां छे तेनी अने तेनां स्थळोनी नोंध आपवामां आवी छ । ३ त्रीजा परिशिष्टमा आखा य मूळ कल्पशास्त्रनां बधां य सूत्रोना नामोनी, जेनां नामो नियुक्ति-भाष्यकारादिए आप्यां नथी ते सुद्धांनी योग्यता विचारीने क्रमवार सळंग नोंध आपवामां आवी छे । तेम ज साथे साथे जे जे सूत्रोनां नामोमां अमे फेरफार आदि करेल छे तेनां कारणो वगेरे पण आपवामां आव्यां छे । ४ चोथा परिशिष्टमां कल्पमहाशास्त्रनी नियुक्तिगाथाओ अने भाष्यगाथाओ एकाकार थई जवा छतां टीकाकार आचार्य श्रीक्षेमकीर्तिसूरिए ते गाथाओने जुदी पाडवा माटे जे प्रयत्न कर्यो छे तेमां जुदां जुदा प्रत्यन्तरो अने चूर्णी विशेषचूर्णी जोतां परस्परमां केवी संवादिता अने विसंवादिता छे तेनी विभागशः नोंध आपी छे। ५ पांचमा परिशिष्टमां कल्पभाष्यनी गाथाओनो अकारादिक्रम आप्यो छे । ६ छट्ठा परिशिष्टमां कल्पटीकाकार आचार्य श्रीमलयगिरि अने श्रीक्षेमकीर्तिसूरिए टीकामा स्थाने-स्थाने जे अनेकानेक शास्त्रीय उद्धरणो आप्यां छे तेनो अकारादिक्रम, ते ते ग्रंथोना यथाप्राप्त स्थानादिनिर्देशपूर्वक आपवामां आव्यो छे । ७ सातमा परिशिष्टमां भाष्यमा तथा टीकामां आवता लौकिक न्यायोनी नोंध आपवामां आवी छे । ए नोंध, निर्णयसागर प्रेस तरफथी प्रसिद्ध थएल " लौकिकन्याया Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002515
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages424
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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