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प्रतिओनो परिचय
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प्रतिओमांथी उपलब्ध थया छे । ते पैकी विशिष्ट अने महत्वना पाठभेदोनी नोंध अमे ते ते स्थळे पादटिप्पणीमां आपी छे ।
४ टीकामां आवता अनेकानेक पाठभेदोनुं समर्थन चूर्णी, विशेषचूर्णी के उभयद्वारा थतुं होय त्यां ते ते चूर्णी आदिना पाठोनी नोंध अमे अवश्य आपी छे । तेम ज चूर्णी आदिमा विशिष्ट व्याख्याभेद, विशिष्ट पदार्थनुं वर्णन आदि जे कांई जोवामां आव्यं ते दरेकनी नोंध अमे पादटिप्पणीमां करवा चूक्या नथी ।
५ कया पाठने मौलिक स्थान आपवुं ? ए माटे अमे मुख्यपणे ग्रंथकारनी सहज भाषाशैली अने प्रतिपादनशैलीने लक्षमां राख्यां | परंतु ज्यां लेखकना प्रमादादि कारणने लई पाठो गळी ज गया होय अने अमुक एकाद प्रति द्वारा ज ए पाठनुं अनुसंधान थतुं होय त्यां तो जे प्रकारनो पाठ मळी आव्यो तेने ज स्वीकारी लेवामां आव्यो छे ।
६ पाठभेदोनी नोधमां लिपिभेदना भ्रमथी उत्पन्न थरला पाठभेदो, अर्थभेदो अने प्राकृतभाषा प्रयोग विषय पाठभेद आदि आपवा अमे प्रयत्न कर्यो छे ।
७ प्रस्तुत शास्त्रना संपादन माटे अमे जे अनेक प्रतिओ एकत्र करी छे तेना खंडो सळंग एक ज कुलना छे एम कद्देवाने कशुं य साधन अमारा सामे नथी । कारण के केटलीक वार एम पण बनवा संभव छे के अमुक प्रतिना लखावनारे प्रस्तुत शास्त्रना अमुक खंडो अमुक कुलनी प्रति उपरथी लखाव्या होय अने अमुक खंडो जुदा कुलनी प्रति उपरथी लखाव्या होय । ए गमे ते हो, वे छतां अमारा सामे जे रूपे प्रतिओ विद्यमान छे तेना वर्त्तमान स्वरूप अने विभागोने लक्षीने ज वर्ग के कुल पाडवामां आवेल छे ।
८ प्रस्तुत नियुक्तिभाष्यवृत्तिसहित कल्पशास्खना संशोधन माटे अमे जे चार जुदा जुदा कुलनी प्रतिओ एकत्र करी छे तेमांनी ताडपत्रीय प्रति पंदरमा सैकाना उत्तरार्धमां लखाएली छे । बाकीनी कां० सिवायनी बधीए प्रतिओ सोलमा -सत्तरमा सैकामां कागळ उपर लखायेली छे । अमारा प्रस्तुत मुद्रण बाद आ ग्रंथनी बीजी ऋण ताडपत्रीय प्रतिओ जोवामां आवी छे । जेमांनी एक पूज्यपाद सूरिसम्राट् आचार्य भगवान् श्रीविजयने मिसूरीश्वरजी महाराजना ज्ञानभंडारमां छे अने बे नकलो जेसलमेरना किल्लाना श्रीजिनभद्रसूरिज्ञानभंडामां छे । आत्रणेय नकलो विक्रमना पंदरमा सैकाना उत्तरार्धमां लखायेली छे अने ए अमे पाडेला कुल के वर्ग पैकी मो० ले० ताटी० कुलनी ज प्रतिओ छे । आ उपरांत उप युक्त जेसलमेरना भंडारमां विक्रम संवत् १३७८ मां लखाएल एक प्रथम खंडनी प्रति छे, जे आजे मळती प्रस्तुत ग्रंथनी नकलोमां प्राचीनमां प्राचीन गणाय । आ प्रतिने अमे अमारी मुद्रित नकल साथै अक्षरशः मेळवी छे अने तेथी जणायुं छे के आ प्रतिमां अमुक अमुक पाठोमां सविशेष फरक होवा छतां एकंदर ए प्रति उपर जणावेल मो० ले० ताटी ०
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