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________________ वृहत्कल्पसूत्रनी प्रस्तावना पाटण, अमदावाद, सुरत, वडोदरा, लीबडी, जैसलमेर विगेरे संख्याबंध स्थळोना ज्ञानभंडारो अने तेमांनी संख्याबंध ताड़पत्रीय प्रतिओने तपासवा छतां गलितपाठ विनानी कहीए तेवी एक पण प्रति अमने मळी नथी। परंतु कोईमा क्यांय तो कोईमां क्याय, ए रीते दरेके दरेक प्रतिमां सेंकडो ठेकाणे पाठोनी अशुद्धिओनी वातने तो आपणे दूर राखीए, पण पंक्तिओनी पंक्तिओ अने संदर्भोना संदर्भो गळी गया छे । आ गळी गयेला संदर्भोनी पूर्ति अने अशुद्ध पाठोना सांगोपांग परिमार्जन माटे उपर जणावेल साधन-सामग्रीनो अमे संपूर्णपणे उपयोग कयों छे, एमां अमे केटला सफळ थया छीए, ए परीक्षार्नु कार्य गीतार्थ मुनिवरो अने विद्वानोने ज सोंपीए छीए । आम छतां प्रस्तुत ग्रंथना संशोधनमा अमे जे पद्धति स्वीकारी छे अने अमने जे सम-विषमताओनो अनुभव थयो छे तेनो समप्रभावे अहीं उल्लेख करवो ए समुचित लागे छे, जेथी गंभीरतापूर्ण संशोधनमा रस लेनार विद्वानोने प्रत्यंतरोनी महत्ता, पाठभेदोनुं विभजन, संशोधनने लगती पद्धति अने विविध सामग्री आदिनो ख्याल आवी शके । १ अमारा संशोधनमा प्रतिओने साधन्तोपान्त तपासीने ज तेना वर्ग पाड्या छे । आ रीते जे जे प्रति अमने जुदा वर्गनी अथवा जुदा कुलनी जणाई छे ते दरेके दरेक प्रतिने अमे आदिथी अंत सुधी अक्षरशः मेळवी छे । आ रीते प्रस्तुत संशोधनमा अमे ताटी० मो० डे० भा० कां० आ पांच प्रतिओने आदिथी अंतसुधी अक्षरशः मेळवी छे, अने एमांना विविध पाठभेदोनी योग्य रीते संपूर्णपणे नोंध लीधी छे । २ ज्या ज्यां अमुक प्रतिओमां अमुक पाठो अशुद्ध जणाया के लेखक आदिना प्रमादथी पडी गएला अर्थात् लखवा रही गएला लाग्या, ए बधाय पाठोर्नु परिमार्जन अने पूर्ति अमे अमारी पासेनां प्रत्यंतरोने आधारे अने तदुपरांत चूर्णी, विशेषचूर्णी, बृहद्भाष्य अने बीजां शास्रोने आधारे करेल छे । प्रस्तुत मुद्रित कल्पशास्त्रमा एवां संख्याबंध स्थळो छे के ज्यां, नियुक्ति-लघुभाष्य-टीकायुक्त बृहत्कल्पसूत्रनी प्रतिओमां पाठो पडी गएला छे अने अशुद्ध पाठो पण छे, तेवे स्थळे अमे चूर्णि, विशेषचूर्णि आदिना आधारे पाठपूर्ति अने अशुद्धिओर्नु परिमार्जन कयु छे । दरेक अशुद्ध पाठोने स्थाने सुधारेला शुद्ध पाठोने अमे ( ) आवा गोळ कोष्ठकमा आप्या छे अने पडी गएला पाठोने [ ] आवा चोरस कोष्ठकमा आप्या छे अने ए पाठोना समर्थन अने तुलना माटे ते ते स्थळे नीचे पादटिप्पणीमां चूर्णी विशेषचूर्णी आदिना पाठोनी नोंध पण आपी छे । ३ सूत्र अने नियुक्ति-लघुभाष्यने लगता पाठभेदो चूर्णी, विशेषचूर्णी अने टीकामां आपेला प्रतीको अने तेना व्याख्यानने आधारे मळी शके ( जुओ परिशिष्ट ८ मुं) ते करतां य वधारे अने संख्याबंध पाठभेदो, स्वतंत्र सूत्रप्रतिओ अने स्वतंत्र लघुभाष्यनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002515
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages424
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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