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प्रतिओनो परिचय चार वर्ग पैकी भा० प्रति मोटे भागे त. डे० प्रति साथे मळतापणुं धरावे छे ज्यारे कां० प्रति मोटे भागे मो० ले० प्रति साथे मळती थाय छे । आम छतां ए वस्तु खास ध्यान राखवा जेवी छे के-भा० प्रतिमां अने कां० प्रतिमा टीकाना संदर्भोना संदर्भो वधाराना-वधारे पडता जोवामां आवे छे । ज्यारे भा० प्रति कोई पाठभेद आपती होय छे त्यारे कां० प्राते मोटे भागे बीजी बधी प्रतिओ साथे मळती थई जाय छे । अने ज्यारे कां० प्रति पाठभेद आपती होय छे त्यारे भा० प्रति बीजी प्रतिओ साथे मळी जाय छे । भा० प्रति अने कां० प्रति परस्पर मळी जाय एबुं तो कोई विरल विरल स्थळे ज बनवा पाम्युं छे।
उपर जणावेली सात प्रतिओ उपरांत प्रस्तुत कल्प महाशास्त्रना संशोधन माटे अने तुलना आदि माटे अमे नीचे जणावेली प्रतिओने पण सामे राखी हती
१ पाटण श्री संघना भंडारनी मूलसूत्रयुक्त कल्पभाष्यनी ताडपत्रीय प्रति । २ पाटण श्रीसंघना भंडारनी कागळनी कल्पबृहद्भाष्यनी अपूर्ण प्रति । ३ पाटण श्रीसंघना भंडारनी मूलसूत्रयुक्त कल्पचूर्णीनी ताडपत्रीय प्रति । ४ पाटण मोंका मोदीनां भंडारनी कल्पचूर्गीनी कागळनी प्रति । ५ पाटण लेहरु वकीलना भंडारनी कल्पविशेषचूर्णीनी कागळनी प्रति ।
प्रस्तुत महाशास्त्रना संशोधनमा उपर जणावेली नियुक्ति-भाष्य-वृत्तियुक्त कल्पनी सात प्रतिओ अने सूत्र, भाष्य, महाभाष्य, चूर्णी, विशेषचूर्णीनी पांच प्रतिओ मळी एकंदर बार प्रतिओनो अमे साचंत परिपूर्ण रीते उपयोग कर्यो छे । अने आ. रीते उपरोक्त बधीये प्रतिओनो सांगोपांग उपयोग करी आ आखा महाशास्त्रमा विविध पाठभेदो आपवामां आव्या छे, स्थाने ए पाठभेदोनी चूर्णी, विशेषचूर्णी अने बृहद्भाष्य साथे तुलना पण करवामां आवी छे । आ बारे प्रतिओ अने तेना खंडो वगेरेनो विस्तृत परिचय कल्पशास्त्रना मुद्रित पांच भागोमां यथास्थान आपवामां आवेलो छ । एटले आ विभागमा जे विशेष वक्तव्य छे ते ज कहेवामां आवशे ।।
वधाराना पाठो, पाठभेदो आदि-प्रस्तुत बृहत्कल्पसूत्रना मुद्रित प्रथम भागमा जेम भा० त० डे० प्रतिमां वधाराना पाठो, पाठभेदो अने अवतरणो आवतां रह्यां छे ए ज रीते आगळना दरेक विभागोमां मो० ले० प्रतिमां,-के जे प्रतिओ ता० प्रति साथे मळती छे तेमां,- घणे ठेकाणे वधाराना पाठो, पाठभेदो अने अवतरणो आवतां रह्यां छे,-जे मो० ले० प्रति सिवाय बीजी कोई प्रतिमां नथी,-ते दरेक पाठ आदिने अमे <
II आवा चिह्नोना वचमा मूकी तेनो ते दरेक स्थळे अमे टिप्पणीमां निर्देश करेलो छे । ए ज रीते त० डे० प्रतिमा केटलाक वधाराना पाठो छे, जे बीजी कोई प्रतिमां नथी, अने भा० प्रतिमां अने कां० प्रतिमां पण एक बीजाथी तद्दन स्वतंत्र प्रकारना अनेक वधाराना पाठो अने पाठभेदो आवे छे ए बधाय पाठो अमे यथायोग्य मूळमां के टिप्पणमां आप्या छे अने ते दरेक स्थळे अमे ते ते प्रतिओना नामनो निर्देश पण करेलो छे । आ बधा पाठ
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