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ग्रंथकारोनो परिचय
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छे, तेमां लखेला · सिद्धसेणो' नाम साथे भगवान् श्रीसंघदासगणि क्षमाश्रमणने कोई नामान्तर तरीकेनो संबंध तो नथी ? जो के चूर्णिकार, विशेषचूर्णिकार आदिए आ संबं. धमां खास कशुं ज सूचन कर्यु नथी, तेम छतां । सिद्धसेन ' शब्द एवो छ के जे सहज. भावे आपणुं ध्यान खेंचे छे. एटले कोई विद्वानने कोई एवो उल्लेख वगेरे बीजे क्यांयथी मळी जाय के जे साथे आ नामनो काई अन्वय होय तो जरूर ध्यानमा राखे. कारण के सिद्धसेनगणि क्षमाश्रमणना नामनी साक्षी निशीथचूणीं पंचकल्पचूर्णि आवश्यक हारि. भद्री वृत्ति आदि ग्रंथोमां अनेक वार आवे छे. ए नामादि साथे भाष्यकारनो शिष्य. प्रशिष्यादि संबंध होय अथवा भाष्यकार- कोई नामांतर होय. अस्तु, गमे ते हो विद्वानोने उपयोगी लागे तो तेओ आ बाबत लक्षमा राखे.
टीकाकार आचार्यों. प्रस्तुत बृहत्कल्पसूत्र महाशास्त्र उपर बे समर्थ आचार्योए मळीने टीका रची छे. ते पैकी एक प्रसिद्ध प्रावनिक अने समर्थ टीकाकार आचार्य श्रीमलयगिरिसूरि छे अने बीजा तपोगच्छीय आचार्य श्रीक्षेमकीर्तिसूरि छे. आचार्य श्रीमलयगिरिसूरिवरे प्रस्तुत महाशास्त्र उपर टीका रचवानी शरुआत करी छे परंतु ए टीकाने तेओश्री आवश्यकसूत्र. वृत्तिनी जेम पूर्ण करी शक्या नथी. एटले आचार्य श्रीमलयगिरिजीए रचेली ४६०० श्लोक प्रमाण टीका ( मुद्रित पृष्ठ १७६ ) पछीनी आखाए ग्रंथनी समर्थ टीका रचवा तरीकेना गौरववंता मेरु जेवा महाकार्यने तपोगच्छीय आचार्य श्रीक्षेमकीर्तिसूरिए उपाडी लीधुं छे अने टीकानिर्माणना महान कार्यने पांडित्यभरी रीते सांगोपांग पूर्ण करी तेमणे पोतानी जैन प्रावचनिक गीतार्थ आचार्य तरीकेनी योग्यता सिद्ध करी छे. अहीं आ बन्नेय समर्थ टीकाकारोनो ढूंकमा परिचय कराववामां आवे छे. आचार्य श्रीमलयगिरिसूरि ___ गुणवंती गूजरातनी गौरववंती विभूतिसमा, समग्र जैन परम्पराने मान्य, गूर्जरेश्वर महाराज श्रीकुमारपालदेवप्रतिबोधक महान् आचार्य श्रीहेमचन्द्रना विद्यासाधनाना सहचर, भारतीय समग्र साहित्यना उपासक, जैनागमज्ञशिरोमणि, समर्थ टीकाकार, गूजरातनी भूमिमां अश्रान्तपणे लाखो श्लोकप्रमाण साहित्यगंगाने रेलावनार आचार्य श्रीमलयगिरि कोण हता ? तेमनी जन्मभूमी, ज्ञाति, माता-पिता, गच्छ, दीक्षागुरु, विद्यागुरु वगेरे कोण हता ? तेमना विद्याभ्यास, ग्रन्थरचना अने विहारभूमिनां केन्द्रस्थान कयां हतां ? तेमने शिष्यपरिवार हतो के नहि ? इत्यादि दरेक बाबत आजे लगभग अंधारामां ज छ, छतां शोध अने अवलोकनने अंते जे काई अल्प-स्वल्प सामग्री प्राप्त थई छे तेना आधारे ए महापुरुषनो अहीं परिचय कराववामां आवे छे । ____ आचार्य श्रीमलयगिरिए पोते पोताना ग्रन्थोना अंतनी प्रशस्तिमां " यदवापि मलपगिरिणा, सिद्धिं तेनाश्रुतां लोकः ॥” एटला सामान्य नामोल्लेख सिवाय पोता अंगेनी
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